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साहित्य सुरभि: अग़ज़ल - 31

Written By डॉ. दिलबागसिंह विर्क on गुरुवार, 29 दिसंबर 2011 | 8:03 pm

साहित्य सुरभि: अग़ज़ल - 31: ऐसे लगता है जैसे यह जिन्दगी देवदासी है बाँट दी हैं सब खुशियाँ, मेरे पास सिर्फ उदासी है । बड़े अरमानों से देखा था तेरी ...
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1 टिप्पणियाँ:

Era Tak ने कहा…

bahut sundar
mere blog pe bhi aaye...
eratak.blogspot.com

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