बुराई जब जलने लगती है, तो उसकी बू सबको आती है,
बुराई जलते-जलते खत्म हो जाती है, पर रौशनी छोड़ जाती है,
बू तो कब की उड़ जाती है, आसमान में समां जाती है,
बची हुई रौशनी में, अब सबको अच्छाई नज़र आने लग जाती है,
................................................ ---- बेतखल्लुस
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बुराई जलते-जलते खत्म हो जाती है, पर रौशनी छोड़ जाती है,
बू तो कब की उड़ जाती है, आसमान में समां जाती है,
बची हुई रौशनी में, अब सबको अच्छाई नज़र आने लग जाती है,
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