नज़र खुद से जब आईने में मिलाता हूँ,
अपने पर खुद ही मुस्कराता हूँ,
देखता हूँ बदलते चेहरे को,
न बदलते देखता हूँ, देखने वाले को,
चेहरा बदलता जाता है,
आईना बदलता जाता है,
देखने वाला वही रहता है,
वो कभी न बदल पाता है,
रूह का यही तो आलम है,
चेहरा बदलता जाता है,
देह बदलती जाती है,
रूह न बदल कर आती है,
रूह की इतनी फिजा है,
देखो गौर से न खिजा है,
पर भर चेहरे की लगी है,
रूह तो सामने खड़ी है,
आखों के पीछे से झांकती है,
मुँह के पीछे से बोलती है,
कान के पीछे से सुनती है,
नाक के पीछे से सूंघती है,
रूह के बल पर ही देह खड़ी है,
बिन रूह देह हमेशा गिर पड़ी है,
रूह का निशान पहचान लो,
देह के पीछे रूह को जान लो,
------- बेतखल्लुस
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अपने पर खुद ही मुस्कराता हूँ,
देखता हूँ बदलते चेहरे को,
न बदलते देखता हूँ, देखने वाले को,
चेहरा बदलता जाता है,
आईना बदलता जाता है,
देखने वाला वही रहता है,
वो कभी न बदल पाता है,
रूह का यही तो आलम है,
चेहरा बदलता जाता है,
देह बदलती जाती है,
रूह न बदल कर आती है,
रूह की इतनी फिजा है,
देखो गौर से न खिजा है,
पर भर चेहरे की लगी है,
रूह तो सामने खड़ी है,
आखों के पीछे से झांकती है,
मुँह के पीछे से बोलती है,
कान के पीछे से सुनती है,
नाक के पीछे से सूंघती है,
रूह के बल पर ही देह खड़ी है,
बिन रूह देह हमेशा गिर पड़ी है,
रूह का निशान पहचान लो,
देह के पीछे रूह को जान लो,
------- बेतखल्लुस
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4 टिप्पणियाँ:
rooh hi to sab kuch hai.deh kya hai aaj hai kal nahi hai rooh kabhi marti nahi......bahut achcha likha hai.
रूह के बल पर ही देह खड़ी है,
बिन रूह देह हमेशा गिर पड़ी है,
रूह का निशान पहचान लो,
देह के पीछे रूह को जान लो,...
वाह !!! बहुत खूब लिखा है आपने शानदार प्रस्तुति
समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।
http://mhare-anubhav.blogspot.com/
how to post articles on this page..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति । मेरे मए पोस्ट नकेनवाद पर आप सादर आमंत्रित हैं । धन्यवाद |
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Thanks for your valuable comment.