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कुंड़लिया ----- दिलबाग विर्क

Written By डॉ. दिलबागसिंह विर्क on रविवार, 25 दिसंबर 2011 | 5:11 am

बहुरंगी ये तोहफे , बांटे सांता क्लॉज ।
यीशू के जन्म दिन की , याद दिलाए आज ।।
याद दिलाए आज , मिली थी सच को सूली ।
थी बहुत बड़ी बात, न थी घटना मामूली ।।
सच कब है आसान , है तलवार ये नंगी ।
पर सच से ही विर्क , बने जीवन बहुरंगी ।।


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1 टिप्पणियाँ:

RITU BANSAL ने कहा…

अच्छा है..! :)
kalamdaan.blogspot.com

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