जो लोग उठते बैठते करवट लेते (अलगरज़ हर हाल में) ख़ुदा का जि़क्र करते हैं
और आसमानों और ज़मीन की बनावट में ग़ौर व फि़क्र करते हैं और (बेसाख़्ता)
कह उठते हैं कि ख़ुदावन्दा तूने इसको बेकार पैदा नहीं किया तू (फेले अबस
से) पाक व पाकीज़ा है बस हमको दोज़ख़ के अज़ाब से बचा (191)
ऐ हमारे पालने वाले जिसको तूने दोज़ख़ में डाला तो यक़ीनन उसे रूसवा कर डाला और जु़ल्म करने वाले का कोई मददगार नहीं (192)
ऐ हमारे पालने वाले (जब) हमने एक आवाज़ लगाने वाले (पैग़म्बर) को सुना कि वह (ईमान के वास्ते यू पुकारता था) कि अपने परवरदिगार पर ईमान लाओ तो हम ईमान लाए बस ऐ हमारे पालने वाले हमें हमारे गुनाह बख़्श दे और हमारी बुराईयों को हमसे दूर करे दे और हमें नेकों के साथ (दुनिया से) उठा ले (193)
और ऐ पालने वाले अपने रसूलों की मारफ़त जो कुछ हमसे वायदा किया है हमें दे और हमें क़यामत के दिन रूसवा न कर तू तो वायदा खि़लाफ़ी करता ही नहीं (194)
तो उनके परवरदिगार ने दुआ कु़बूल कर ली और (फ़रमाया) कि हम तुममें से किसी काम करने वाले के काम को अकारत नहीं करते मर्द हो या औरत (इस में कुछ किसी की खु़सूसियत नहीं क्योंकि) तुम एक दूसरे (की जिन्स) से हो जो लोग (हमारे लिए वतन आवारा हुए) और शहर बदर किए गए और उन्होंने हमारी राह में अज़ीयतें उठायीं और (कुफ़्फ़र से) जंग की और शहीद हुए मैं उनकी बुराईयों से ज़रूर दरगुज़र करूंगा और उन्हें बेहिश्त के उन बाग़ों में ले जाऊॅगा जिनके नीचे नहरें जारी हैं ख़ुदा के यहाँ ये उनके किये का बदला है और ख़ुदा (ऐसा ही है कि उस) के यहाँ तो अच्छा ही बदला है (195)
(ऐ रसूल) काफि़रों का शहरो शहरो चैन करते फिरना तुम्हे धोखे में न डाले (196)
ये चन्द रोज़ा फ़ायदा हैं फिर तो (आखि़रकार) उनका ठिकाना जहन्नुम ही है और क्या ही बुरा ठिकाना है (197)
मगर जिन लोगों ने अपने परवरदिगार की परहेज़गारी (इख़्तेयार की उनके लिए बेहिश्त के) वह बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरें जारीं हैं और वह हमेशा उसी में रहेंगे ये ख़ुदा की तरफ़ से उनकी (दावत है और जो साज़ो सामान) ख़ुदा के यहाँ है वह नेको कारों के वास्ते दुनिया से कहीं बेहतर है (198)
और एहले किताब में से कुछ लोग तो ऐसे ज़रूर हैं जो ख़ुदा पर और जो (किताब) तुम पर नाजि़ल हुयी और जो (किताब) उनपर नाजि़ल हुयी (सब पर) ईमान रखते हैं ख़ुदा के आगे सर झुकाए हुए हैं और ख़ुदा की आयतों के बदले थोड़ी सी क़ीमत (दुनियावी फ़ायदे) नहीं लेते ऐसे ही लोगों के वास्ते उनके परवरदिगार के यहाँ अच्छा बदला है बेशक ख़ुदा बहुत जल्द हिसाब करने वाला है (199)
ऐ ईमानदारों (दीन की तकलीफ़ों को) झेल जाओ और दूसरों को बर्दाश्त की तालीम दो और (जिहाद के लिए) कमरें कस लो और ख़ुदा ही से डरो ताकि तुम अपनी दिली मुराद पाओ (200)
ऐ हमारे पालने वाले जिसको तूने दोज़ख़ में डाला तो यक़ीनन उसे रूसवा कर डाला और जु़ल्म करने वाले का कोई मददगार नहीं (192)
ऐ हमारे पालने वाले (जब) हमने एक आवाज़ लगाने वाले (पैग़म्बर) को सुना कि वह (ईमान के वास्ते यू पुकारता था) कि अपने परवरदिगार पर ईमान लाओ तो हम ईमान लाए बस ऐ हमारे पालने वाले हमें हमारे गुनाह बख़्श दे और हमारी बुराईयों को हमसे दूर करे दे और हमें नेकों के साथ (दुनिया से) उठा ले (193)
और ऐ पालने वाले अपने रसूलों की मारफ़त जो कुछ हमसे वायदा किया है हमें दे और हमें क़यामत के दिन रूसवा न कर तू तो वायदा खि़लाफ़ी करता ही नहीं (194)
तो उनके परवरदिगार ने दुआ कु़बूल कर ली और (फ़रमाया) कि हम तुममें से किसी काम करने वाले के काम को अकारत नहीं करते मर्द हो या औरत (इस में कुछ किसी की खु़सूसियत नहीं क्योंकि) तुम एक दूसरे (की जिन्स) से हो जो लोग (हमारे लिए वतन आवारा हुए) और शहर बदर किए गए और उन्होंने हमारी राह में अज़ीयतें उठायीं और (कुफ़्फ़र से) जंग की और शहीद हुए मैं उनकी बुराईयों से ज़रूर दरगुज़र करूंगा और उन्हें बेहिश्त के उन बाग़ों में ले जाऊॅगा जिनके नीचे नहरें जारी हैं ख़ुदा के यहाँ ये उनके किये का बदला है और ख़ुदा (ऐसा ही है कि उस) के यहाँ तो अच्छा ही बदला है (195)
(ऐ रसूल) काफि़रों का शहरो शहरो चैन करते फिरना तुम्हे धोखे में न डाले (196)
ये चन्द रोज़ा फ़ायदा हैं फिर तो (आखि़रकार) उनका ठिकाना जहन्नुम ही है और क्या ही बुरा ठिकाना है (197)
मगर जिन लोगों ने अपने परवरदिगार की परहेज़गारी (इख़्तेयार की उनके लिए बेहिश्त के) वह बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरें जारीं हैं और वह हमेशा उसी में रहेंगे ये ख़ुदा की तरफ़ से उनकी (दावत है और जो साज़ो सामान) ख़ुदा के यहाँ है वह नेको कारों के वास्ते दुनिया से कहीं बेहतर है (198)
और एहले किताब में से कुछ लोग तो ऐसे ज़रूर हैं जो ख़ुदा पर और जो (किताब) तुम पर नाजि़ल हुयी और जो (किताब) उनपर नाजि़ल हुयी (सब पर) ईमान रखते हैं ख़ुदा के आगे सर झुकाए हुए हैं और ख़ुदा की आयतों के बदले थोड़ी सी क़ीमत (दुनियावी फ़ायदे) नहीं लेते ऐसे ही लोगों के वास्ते उनके परवरदिगार के यहाँ अच्छा बदला है बेशक ख़ुदा बहुत जल्द हिसाब करने वाला है (199)
ऐ ईमानदारों (दीन की तकलीफ़ों को) झेल जाओ और दूसरों को बर्दाश्त की तालीम दो और (जिहाद के लिए) कमरें कस लो और ख़ुदा ही से डरो ताकि तुम अपनी दिली मुराद पाओ (200)
1 टिप्पणियाँ:
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