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इन्हें मिटा दिया करता हूँ..

Written By आपका अख्तर खान अकेला on शुक्रवार, 17 मई 2019 | 6:05 am

*उलझनें हैं बहुत..*
*मग़र, सुलझा लिया करता हूँ..*
*और, फोटो खिंचवाते वक़्त..*
*मैं अक्सर मुस्कुरा लिया करता हूँ..*
क्यूँ नुमाइश करुँ..
अपने माथे पर शिकन की..
मैं, अक्सर मुस्कुरा के..
इन्हें मिटा दिया करता हूँ..
*क्योंकि..*
*जब लड़ना है, खुद को खुद ही से..*
*तो, हार-जीत में..*
*कोई फ़र्क नहीं रखता हूँ..*
हारुँ या जीतूं..
कोई रंज नहीं..
कभी खुद को जिता देता हूँ..
तो, कभी खुद से जीत जाता हूँ..
*ज़िंदगी तुम बहुत खूबसूरत हो..*
*इसलिए मैंने तुम्हें..*
*सोचना बंद और..*
*जीना शुरु कर दिया है..*
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