करनी कुछ ऐसी कर चलो ,के जग सारा रॉय ,,जी हाँ दोस्तों कल कोटा का पत्रकार
जगत ,समाजसेवी क्षेत्र सहित सभी वर्गों में पत्रकार श्याम दुबे के अचानक
निधन हो जाने से शोक की लहर दोढ़ गयी ,,क़ुरआन का आदेश है ,कुल्लू नफ़्सूंन
ज़ायकातुल मोत ,यानि हर इंसान को मोत का मज़ा चखना है ,भगवत गीता का फरमान
है ,जो पैदा हुआ है उसे मरना निश्चित है ,यह कटु सत्य है ,फिर भी न जाने
क्यों हम ,परस्पर एक दूसरे से नफरत पालते है ,विवादों में रहते है ,एक
दूसरे को नीचा दिखाकर खुद दम्भी बन जाते है ,हमारी सभी की डोर ऊपर वाली
अदृश्य शक्ति के हाथ में है न जाने डोर खिच जाए और हम एक बेजान शरीर बनकर
मिटटी में मिल जाए ,,जी हाँ दोस्तों जीवन के हमारे कर्म ही है जो हमे याद
रखने को मजबूर करते है ,,पत्रकार श्याम दूबे ,,बेहतरीन लेखक ,बहतरीन
पत्रकार ,,बेहतरीन सम्पादक ,प्रकाशक तो थे ही ,लेकिन वोह एक ऐसी बेहतरीन
शख्सियत ,अजात शत्रु थे ,,जिन्हे हर कोई शख्स प्यार सिर्फ प्यार करता था
,वोह हर दिल अज़ीज़ शख्सियत होने से ,,कोटा में भी लोकप्रिय थे ,तो जयपुर में
भी लोगों की धड़कन बने हुए थे ,पत्रकारिता श्याम दूबे का निर्विवाद शोक रहा
है ,,बनारस उत्तर प्रदेश में उनके वालिद दीनानाथ दूबे खुद क़लमकार थे बाद
में दीनानाथ दूबे कोटा डी सी एम में कार्यरत रहकर उद्योग की प्रकाशित
मैगज़ीन के सम्पादक रहे ,,,श्याम दूबे ,कोटा में दैनिक नवज्योति में पत्रकार
बने ,,बेहतरीन लेखन ,खबर की पकड़ ,निष्पक्ष रिपोर्टिंग ,और सम्पादन प्रबंध
में माहिर ,श्याम दूबे ,,विशिष्ठ परिस्थितियों में भी बेदाग़ छवि वाले
पत्रकार रहे ,,उन्होंने कर्मचारियों का नेतृत्व भी किया ,,कोटा प्रेस क्लब
सहित अन्य संस्थाओं से श्याम जी का सीधा जुड़ाव भी रहा ,लेकिन हर संस्था में
वोह निर्विवाद साथी रहे ,,बिना किसी पक्षपात की खबरे डेस्क पर बैठकर चयनित
करना इनका स्वभाव रहा ,इनके निजी विचार कुछ भी हों ,लेकिन लेखन और संपादन
के दौरान यह अपने नीजि विचारों को किसी पर थोपते नहीं थे ,दूसरों की
अभिव्यक्ति की आज़ादी की स्वतंत्रता को बनाये रखने की ज़िम्मेदारी के तहत यह
सभी के विचारों को बिना किसी दुर्भावना के अपने सम्पादन में अहमियत्त देने
के लिए मशहूर रहे थे ,,दो दशक पहले अलग अलग मैगज़ीन में खबरे लिखने के अलावा
इनके वालिद दीना नाथ दूबे के साथ श्याम दूबे ने पहले प्रदेश स्तर पर तथ्य
भारती नामक एक मैगज़ीन का प्रकाशन शुरू किया ,,फिर श्याम जी की मेहनत लगन से
इस मैगज़ीन को राष्ट्रिय स्तर पर प्रकाशित कर देश के विशष्ठ ,लेखकों
,,चिंतकों ,विचारकों, पत्रकारों को जोड़कर श्याम जी ने पत्रकारिता का एक नया
अनुभव तैयार किया ,, कोटा में लगातार पत्रकारों के प्रेस क्लब के चुनाव
हुए ,,कोटा के अनेक पत्रकार आज भी उनके इशारों पर चलने वाली उनके चहेते
साथी है कई लोगों ने कोटा प्रेसक्लब का प्रत्याक्षी बनकर उनके रिश्तों की
दुहाई देकर ,,कोटा प्रेसक्लब में उनके चहेते साथियों से वोट डलवाने की मदद
मांगी ,लेकिन वोह तो श्याम थे ,किसी एक के नहीं सभी के श्याम ,थे ,वोह
न्यूट्रल रहे ,कोई पक्षपात किसी का समर्थन विरोध नहीं किया ,यही वजह रही के
वोह कोटा के छोटे ,,मंझोले ,बढे समाचार पत्रों के पत्रकारों ,,,साप्तहिक
,पाक्षिक ,मासिक पत्र पत्रिकाओं से जुड़े पत्रकारों ,जनसम्पर्क विभाग से
जुड़े सदस्यों के चहेते बने रहे ,,,श्रीमती वसुंधरा सिंधिया के मुख्यमंत्री
कार्यकाल में श्याम दूबे ,उनकी प्रेस व्यवस्था टीम में अप्रत्यक्ष रूप से
निकटतम हिस्सेदार थे ,लेकिन उन्होंने अपनी इस अहमियत का कभी दुरूपयोग नहीं
किया ,मुख्यमंत्री कार्यालय में लगातार आने जाने ,,प्रभाव होने के बाद भी
उन्होंने खुद को अलग थलग रखा ,वोह बात और है के कोटा के पत्रकार साथियों
,,उनके परिजनों ,,उनके कोटा के पुराने मित्र जनों के परिजनों से संबंधित
कोई भी कार्य अगर हुआ तो उसके लिए श्याम जी ने निजी तोर पर संबंधित मंत्री
,अधिकारी से कहकर उनके काम अवश्य करवाए ,पत्रकारों के कल्याण ,उनकी बीमारी
के वक़्त कल्याण कोष से मदद के वक़्त भी वोह सक्रिय रहे ,,यही वजह है के कोटा
से दो दशक पूर्व ही जयपुर जाने के बाद भी उनका लगाव कोटा ,कोटा के
निवासियों से बना रहा और इसीलिए उनके पार्थिव शरीर को कोटा में ही
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि के साथ ,,पंचतत्त्व में विलीन किया गया ,,बस अब
कोटा के पत्रकारों के संगठनों ,कोटा के कथित वरिष्ठ कहे जाने वाले पत्रकार
साथियों से यही इल्तिजा है ,ऐसी ,शख्सियत ,जिसने पत्रकारिता को जिया है
,जिसने पत्रकारिता के क्षेत्र में निष्पक्ष निर्भिक्ता निर्विवाददिता के
लिए अनूठे आयाम ,अनूठे उदाहरण प्रस्तुत किये है ,ऐसे युवा हर दिल अज़ीज़
पत्रकार के असामयिक निधन के बाद ,उनकी जीवनी ,उनकी प्र्रेरणा को लेकर
,,कोटा के पत्रकार संगठनों के ज़रिये कोई प्रकाशन सामग्री बनवाये ,,हर साल
कोई कार्यक्रम ,,विचारगोष्ठियाँ ,पत्रकार पुरस्कार योजनाओं का संचालन
करवाए ,,उनकी पत्रकारिता के टिप्स ,,उनके स्वभाव ,सम्पादन में खबरों का
निष्पक्ष चयन ,वैचारिक मतभेद होने पर भी ,पत्रकारिता के लेखन में
निष्पक्षता का हुनर जो उनमे था उसे सभी को पढ़ाये ,यही कोटा के इस
पत्र्कारिता के लाल के आसामयिक चले जाने के बाद भी उन्हें ज़िंदा रखने के
लिए काफी होगा ,,महत्वपूर्ण बात यह है के सोशल मीडिया की सक्रियता के
बावजूद भी इसमें ग्रॉस्पिंग ,विवाद ,नफरत की ज़्यादती होने के कारण श्याम जी
सर्वसम्पन्न होने के बाद भी सोशल मीडिया के हिस्सेदार नहीं बने ,अलबत्ता
उनकी मैगज़ीन तथ्यभारती की उन्होंने वेबसाइट बनाई ,,ट्विटर ,,फेसबुक पेज
बनाया ,उसमे भी उन्होंने खुद को गौण ही रखा ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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