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ग़ज़ल - दिलबाग विर्क
इस दिल ने नादानी में
आग लगा दी पानी में ।
वा'दे सारे खाक हुए
आया मोड़ कहानी में ।
तेरी याद चली आए
है ये दोष निशानी में ।
कब उल्फत को समझ सके
लोग फँसे नादानी में ।
या रब ऐसा क्यों होता
दुख हर प्यार कहानी में ।
टूटा दिल, बहते आँसू
पाए विर्क जवानी में ।
* * * * *
4 टिप्पणियाँ:
...बहुत खूब!
सुन्दर ख्याल
आभार ||
सुन्दर प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें ||
chitrayepanne.blogspot.com
bahut khoobsurat jajbaat.
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