निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल
बिनु निज भाषा ज्ञान बिनु मिटे न हिय को शूल !
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था - '' हिन्दी ही भारत की राष्ट्र भाषा हो सकती है,अमर शहीद भगत सिंह सिंह का भी कहना था -'' हिन्दी में राष्ट्र भाषा होने की सारी काबिलियत है .जबकि प्रसिद्ध साहित्यकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन 'अज्ञेय' ने देशवासियों को सतर्क करते हुए लिखा था - ''हिन्दी पर अनेक दिशाओं से कुठाराघात की तैयारी है ,ताकि उसकी अटूट शक्ति को कमज़ोर किया जा सके'' .
भाषा चाहे देशी हो ,या विदेशी , हर भाषा की अपनी खूबियाँ होती हैं . किसी भी भाषा से , चाहे वह अंग्रेजी ही क्यों न हो, व्यक्तिगत बैर भाव नहीं होना चाहिए ,लेकिन अगर कोई भाषा किसी देश की संस्कृति को और उसके राष्ट्रीय स्वाभिमान को ही नष्ट करने की कोशिश में जुट जाए , तो उसका प्रतिकार तो करना ही होगा . अंग्रेजी के साथ भी कुछ ऐसा ही मामला है. क्या हम इतनी जल्दी भूल गए कि देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करने के लिए लाखों हिंदुस्तानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी ,जेल की यातनाएं झेलीं ,तब कहीं करीब चौंसठ साल पहले १५ अगस्त १९४७ को बड़ी मुश्किल से अंग्रेजों को यहाँ से भगाया जा सका ? भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए आज ज़रूरत इस बात की है कि हम हिन्दी सहित तमाम भारतीय भाषाओं के समग्र विकास के लिए चिन्तन करें और इस दिशा में काम करें , भारतीय भाषाओं में भरपूर साहित्य सृजन हो , हर भारतीय अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के बजाय अपनी भाषा के स्कूलों में दाखिला दिलवाए .
मुझे लगता है कि आज एक बार फिर इंग्लिस्तान से एक नहीं ,बल्कि हजारों बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ ईस्ट इंडिया कम्पनी के नए अवतार के रूप में 'हिंग्लिश ' भाषा के साथ भारत को गुलाम बनाने के लिए आ रही हैं , और हमारे ही देश के छिपे हुए नहीं , बल्कि खुले आम घूमते कुछ गद्दार किस्म के लोग उनके क़दमों में बिछ कर और अंग्रेजी की हिमायत में पूंछ हिलाकर उनका स्वागत कर रहे हैं .हिन्दुस्तान के ऐसे दुश्मनों और हिन्दी भाषा पर प्राणघातक हमला करने और उसकी हत्या की कोशिश करने वालों से हमें सावधान रहना होगा. . -- ----स्वराज्य करुण
2 टिप्पणियाँ:
---सही-सत्य दर्पण है...यही तो होरहा है हिन्दी के साथ....सदा से...बधाई...
कभी नीति सरकारों की या,
कभी नीति व्यापार जगत की ।
कभी नीति इसको ले डूबे,
जनता के व्यवहार जगत की ॥
उत्कृष्ट आलेख के लिए बधाई। सही है अगर हिंदी के कठिन शब्दों के सरल विकल्प मौजूद है तो उन्हें ही लिखा जाना चाहिए। विद्यार्थी और छात्र को स्टूडेन्ट लिखना हिन्दी के साथ कुठाराघात है।
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