नियम व निति निर्देशिका::: AIBA के सदस्यगण से यह आशा की जाती है कि वह निम्नलिखित नियमों का अक्षरशः पालन करेंगे और यह अनुपालित न करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से AIBA की सदस्यता से निलम्बित किया जा सकता है: *कोई भी सदस्य अपनी पोस्ट/लेख को केवल ड्राफ्ट में ही सेव करेगा/करेगी. *पोस्ट/लेख को किसी भी दशा में पब्लिश नहीं करेगा/करेगी. इन दो नियमों का पालन करना सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य है. द्वारा:- ADMIN, AIBA

Home » » गाँधीवादी अन्ना और सोनिया ,राहुल का गांधीवाद

गाँधीवादी अन्ना और सोनिया ,राहुल का गांधीवाद

Written By आपका अख्तर खान अकेला on रविवार, 14 अगस्त 2011 | 1:45 pm


दोस्तों एक महात्मा जिसने लाठी लंगोटी के बल पर अनशन के ब्रह्मास्त्र से अंग्रेजों को देश छोड़ने पार मजबूर कर दिया ..गांधी के अनशन का कभी किसी गोरे अँगरेज़ ने ना तो मजाक उड़ाया और ना ही उनके मनोबल को तोड़ने का प्रयास किया ..देश को गांधी दर्शन यानी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अनशन के बारे में एक सम्मान दिया , एक ताकत दी और गोरों को झुकाने की शक्ति दी ..बेचारे अन्ना जो ठहरे गांधीवादी वोह आज इस कलियुग में जब नकली गांधियों की फोज है ..सोनिया जी गांधी केसे बनी राहुल जी गांधी केसे बने यह एक लम्बी दास्ताँ हैं लेकिन कहने को तो वोह खुद को गांधीवादी कहते रहे हैं और कोंग्रेस पार्टी के होने के नाते इस विचारधारा का सम्मान भी सभी को करना चाहिये ..लेकिन दोस्तों गान्धी की इस कोंग्रेस में कोई तो विदेश से पढ़कर वकालत करते करते रसमलाई खाने के लियें कोंग्रेस में शामिल हो गया ॥ कोई दल बदल कर मंत्री बन्ने के लियें कोंग्रेसी हो गया तो कोई बेंक में नोकरी करते करते रिटायर हो जाने के बाद महत्वपूर्ण पद के लालच में कोंग्रेसी हो गया ..कुल मिलाकर गांधी की इस कोंग्रेस में जनजात कोंग्रेसियों की कमी और मोकापरास्तों की अधिकता हो गयी आज अन्ना जब देश के एक बहतरीन मुद्दे पर जनता को साथ लेकर अनशन के हथियार से लोकतांत्रिक तरीके से लड़ना चाहते हैं तब उन्हें इसकी इजाजत तक नहीं दी जा रही हे ऐसे वक्त पर गाँधी के हत्यारों की सरकार होती तो बात दूसरी थी लेकिन अब गांधी के हत्यारों की सरकार नहीं तो कमसे कम गांधी के विचारों के हत्यारों की सरकार तो है जिन लोगों ने गाँधी और गाँधी की हत्या को भुना कर कई वर्षों तक देश पर शासन किया आज वही लोग गांधी की अनशन निति का मजाक उड़ा रहे है लोकतंत्र का मखोल उड़ा रहे हैंराहुल गाँधी सोनिया गांधी यह सब तमाशा देख रहे है अगर ऐसा ही हो रहा है तो बस राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी को खुद के आगे से गान्धी नाम तो हटा ही लेना चाहिए ताकि गाँधी का नाम उनकी विचारधारा अपमानित ना हो ..रही बात अन्ना के गाँधीवादी आन्दोलन की तो अब अन्ना अगर खामोश बैठते है और लोकपाल बिल में संशोधन होने तक अनशन पर नहीं टिकते है और सरकारी दमन के आगे घुटने टेक देते है तो फिर तो बस जो लोग कहते हैं के अन्ना और सरकार की जनता का महंगाई और भ्रष्टाचार से ध्यान बंटाने के लियें सुनारी लड़ाई नुरा कुश्ती है वही सच साबित हो जायेगी देखते हैं अन्ना अनशन के हथियार से गांधी विचारधारा की हथियारी सरकार को हरा पाते हैं या नहीं और अन्ना की मदद इस लड़ाई में गाँधी के हत्यारे विचरक कितनी मदद किस तरह से कर पाते हैं .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
Share this article :

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for your valuable comment.