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जितनी बंटनी थी बंट चुकी ये ज़मीं

Written By DR. ANWER JAMAL on रविवार, 13 नवंबर 2011 | 10:32 am

जितनी बंटनी थी बंट चुकी ये ज़मीं,
अब तो बस आसमान बाकी है |
सर क़लम होंगे कल यहाँ उनके,
जिनके मुंह में ज़बान बाक़ी है ||
 http://www.nulite.tk/
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