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दैवीय रूप

Written By नीरज द्विवेदी on मंगलवार, 22 नवंबर 2011 | 7:59 pm



नयन भटकेनयन अटके,
देख एक सुंदर स्वरूप।
चित उछल उछल करता हलचल,
सम्मुख है अभिराम रूप॥

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