यूँ न तसल्ली दो मेरे अरमानों को,
कहकर की जिन्दगी सबको न मिली बराबर है,
कीड़े की तरह कोई रेंगता जिन्दगी को,
किसी को जमीन पर पैर रखने की फुरसत न मिली बराबर है,
किसी की कमजोरी को अपनी ताकत बनाना बहुत लोगों का शगल है दुनिया में,
किसी को अपने से कमज़ोर देख कर तसल्ली कर लेना भी शगल है दुनिया में,
दूसरे की तरफ नज़र क्यूँ करें अपने आपनो को क्यूँ न सहेजें,
दूसरों की कमियों से अपने-आपको मज़बूत क्यूँ आंके,
इस तरह तो फिर कुछ न कर पायेंगे,
जिन्दगी में बस दूसरों तो कमतर ही करते जायेंगे,
गर कमी न भी हो उसमे तो कोई न कोई कमी निकाल लायेंगे,
उस के सामने अपने को उससे अच्छा साबित करने में लग जायेंगे,
किसी की कमी से अपने को ऊँचा रखने की वजाए,
अपनी तरक्की की सोच रखनी होगी,
गर जूता तो क्या, पैर तो क्या, कुछ भी न हो,
पर इस दुनिया में भाग्य के सहारे की आदत छोडनी होगी,
------- बेतखल्लुस
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कहकर की जिन्दगी सबको न मिली बराबर है,
कीड़े की तरह कोई रेंगता जिन्दगी को,
किसी को जमीन पर पैर रखने की फुरसत न मिली बराबर है,
किसी की कमजोरी को अपनी ताकत बनाना बहुत लोगों का शगल है दुनिया में,
किसी को अपने से कमज़ोर देख कर तसल्ली कर लेना भी शगल है दुनिया में,
दूसरे की तरफ नज़र क्यूँ करें अपने आपनो को क्यूँ न सहेजें,
दूसरों की कमियों से अपने-आपको मज़बूत क्यूँ आंके,
इस तरह तो फिर कुछ न कर पायेंगे,
जिन्दगी में बस दूसरों तो कमतर ही करते जायेंगे,
गर कमी न भी हो उसमे तो कोई न कोई कमी निकाल लायेंगे,
उस के सामने अपने को उससे अच्छा साबित करने में लग जायेंगे,
किसी की कमी से अपने को ऊँचा रखने की वजाए,
अपनी तरक्की की सोच रखनी होगी,
गर जूता तो क्या, पैर तो क्या, कुछ भी न हो,
पर इस दुनिया में भाग्य के सहारे की आदत छोडनी होगी,
------- बेतखल्लुस
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