बेशक मेरे कहानी का शीर्षक एक गाने की लाइन पर आधारित है मगर है यह एक सच्ची प्रेम कहानी है, तो :-)
"प्यार की एक कहनी सुनो
एक लड़का था एक लड़की थी
एक समय की बात है, सर्दियों के दिन थे। कड़कती सर्दियों के दिन घर के बाहर बर्फ गिर रही थी। चारों और सब कुछ बर्फ से ढाका हुआ था घर की छतें सफ़ेद दूधिया रुई के जैसी बर्फ से ढक चुकी थी। सारे पेड़ों से लेकर हरे मैदानों तक, सब कुछ साफ, सफ़ेद, बर्फ की उजली चादर से ढाका हुआ था। जैसे प्रकृति ने मौसम के स्वागत के लिए एक साफ, सफ़ेद बर्फ की चादर बिछाई हो, ऐसे मौसम में सभी बच्चे कोट, गंबूट और दस्ताने पहने हुए बर्फ में खेल रहे थे। एक दूसरे को बर्फ के गोले बना-बना कर मार रहे थे। ख़ुशी से उत्साहित हो रहे थे। उनकी आवाज में उनका उत्साह साफ दिखाई और सुनाई दे रहा था। उनमें से दो बच्चे (snow man ) बनाते -बनाते आपस में बात कर रहे थे। जिनमें से एक लड़का था और एक लड़की थी। दोनों एक दूसरे से कह रहे थे, कि देखो मैंने अपने बर्फ के आदमी (snow man ) को काली टोपी पहनाई है, तो दूसरे ने कहाँ मैंने अपने बर्फ के आदमी (snow man ) को लाल रंग का मफ़लर पहनाया है। दोनों ही बच्चे बहुत खुश और बहुत ही ज्यादा उत्साहित लग रहे थे। वही पास की खिड़की में एक विवाहित जोड़ा खड़ा उन बच्चों को बहुत ख़ुशी से देख रहा था, कि तभी उस विवाहित दंपत्ति में से जो पति था, उसने कहा सुनो प्रिय यह बच्चे बर्फ में खेलते हुए कितने अच्छे लग रहे है न!!!
जैसे हमारा बचपन लौट आया हो, काश हमारे भी एक लड़का और एक लड़की होती। तब पत्नी की आँखों में आँसू आ जाते है और वो बड़े भारी मन से कहती है। काश हमे भी भगवान ने ऐसी प्यारी सी दो संताने दी होती तो कितना अच्छा होता। पति से अपनी पत्नी कि यह व्यथा देखी नहीं जाती। वह उस बारे में मन-ही-मन विचार करते हुए फिर उन्हीं बच्चो को देखने लगता है। तभी अचानक उसके मन में एक ख्याल आता है। वो अपनी पत्नी से कहता है, चलो प्रिय आज हम भी इन बच्चों के साथ बच्चे बन जाये और फिर से एक बार अपना बचपन जी लें। पत्नी के होंटो पर मुस्कुराहट आती है और वो मुसुकुरा कर कहती है। यह आज आप को हो क्या गया है। पति कहता कुछ नहीं बस आज बच्चा बन जाने को दिल कर रहा है। उसके बाद दोनों कोट, दस्ताने और गमबुट पहन कर बाहर आते है और सोचने लगते है, बर्फ में आतो गए है। मगर करने क्या? कैसे मज़ा लें इस बर्फीली मगर रुई सी सफ़ेद जगमगाती हुई बर्फ का,फिर कुछ देर सोचने के बाद, पति कहता है अपनी पत्नी से चलो प्रिय आज हम बर्फ से एक लड़का और एक लड़की बनाते है।
ऐसा कह कर दोनों उस रुई सी कोमल, फुसफूसी बर्फ से बच्चों की मूर्ति बनाने में जुट जाते है। पति बनाता है एक छोटी सी, प्यारी सी लड़की और पत्नी बनती है, एक छोटा सा प्यारा सा लड़का। दोनों काम पूरा करने के बाद एक साथ खड़े होकर एक गहरी सांस भरते हुए अपने उस बर्फ से बनाए हुए बच्चों को आशा भरी निगाहों से निहारते हुए एकटक होकर देखने लगते है। क्रमशः .......
6 टिप्पणियाँ:
ये क्रमश: गलत जगह लगा दिया…………अब आगे का इंतज़ार है।
ये क्रमश: गलत जगह लगा दिया…………अब आगे का इंतज़ार है।
पल्लवी जी,
आप ने अपनी कहानी में गाने के शब्दों को आधार बना कर निंसन्तान दम्पति के मन में उठने वाले भावों को अनकहे शब्दों से बहुत सुन्दर प्रस्तुत किया है। जो वास्तव में प्रशन्सनीय है।
विन्नी,
अच्छी बात कही आपने ! में भी अपना ब्लॉग आल इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड में सामिल करना चाहता हु ! मेरा ब्लॉग तकनिकी को समर्पित हे एक बार जरुर देखे और अच्छा लगने पर मेरे ब्लॉग को सामिल करे में हमेसा आपका आभारी रहूँगा !
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