कबूतर - कब उतर - लोग यही देखते हैं की यह कबूतर कब उतरेगा, क्यूंकि पहले के समय में कबूतर एक मुफ्त का संदेशवाहक था, जो की एक मेसेंजर का काम मुफ्त में करता था, तो लोग फिर उसको दाना डालने लगे, की दाना को देखकर वह नीचे आएगा और किसका सन्देश ले जा रहा है, उससे निकाल कर पड़ लेंगे, और फिर या तो बदल देंगे, या फिर यह खबर उसके दुश्मन तक बेच देंगे, इसलिए कबूतर को दाना खिलाने का प्रचलन हुआ, और भारत के लोग सन्देश हमेशा से मुफ्त में ही पहुंचाने में यकीन रखते है, जैसे कोई जाता है तो उसको ही कह दिया की कह देना सब ठीक है, और इसी बात का फायदा भारत के दुश्मनों ने हमेशा उठाया, कबूतर को दाना खिला कर और किसी के सन्देश को पड़कर, अब भी भारत के लोग उसी सन्देश वाहक प्रक्रिया को इस्तेमाल करते हैं जो मुफ्त में ज्यादा-से-ज्यादा सन्देश भेजने का आफर देती है, तो यह कहानी है कबूतर को दाना खिलाने की |
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2 टिप्पणियाँ:
बेहतरीन प्रस्तुति ।
कबूतर को दाना खिलने की कहानी...
खूब कही!
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Thanks for your valuable comment.