अमीरों के महलों में में रोशनी है ,हमारे पसीने से ,
खामोस हैं सभी मुफलिस फ़क़त मतलब है जीने से ,
रोटी दो वक़्त की मिल जाये शान से,
इससे बढ़ कर और क्या माँगे भगवान से,
हँसी , ख़ुशी, प्यार के अल्फ़ाज,
नगमे, तराने,बजते हुए साज,
कहाँ नसीब हैं हम बदनसीबों को ,
दुनिया इंसान कहाँ समझती है हम गरीबों को,
ताक़तवर कभी नहीं चूकता मजलूमों को दबाने से ,
अमीरों के महलों में रौशनी है हमारे पसीने से ............
खामोस हैं सभी मुफलिस फ़क़त मतलब है जीने से ,
रोटी दो वक़्त की मिल जाये शान से,
इससे बढ़ कर और क्या माँगे भगवान से,
हँसी , ख़ुशी, प्यार के अल्फ़ाज,
नगमे, तराने,बजते हुए साज,
कहाँ नसीब हैं हम बदनसीबों को ,
दुनिया इंसान कहाँ समझती है हम गरीबों को,
ताक़तवर कभी नहीं चूकता मजलूमों को दबाने से ,
अमीरों के महलों में रौशनी है हमारे पसीने से ............
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