गुरु नानक जी के अमूल्य वचन
भगवान की कृपा प्राप्त करने के केवल दो साधन हैं
* मन को निर्मल बनाये रखना !
** भगवान् के पावन नाम का उच्चारण करते रहना !
गृहस्थ में रहते हुए बुराइयों से डरने वाला अच्छे गुणों को धारण करने वाला भगवान् को हर समय याद रखने वाला !
इस प्रकार से ही भव सागर से पार हो सकता है मानव !
भगवान की कृपा प्राप्त करने के केवल दो साधन हैं
* मन को निर्मल बनाये रखना !
** भगवान् के पावन नाम का उच्चारण करते रहना !
गृहस्थ में रहते हुए बुराइयों से डरने वाला अच्छे गुणों को धारण करने वाला भगवान् को हर समय याद रखने वाला !
इस प्रकार से ही भव सागर से पार हो सकता है मानव !
(फोटो साभार गूगल / नेट से )
गुरु नानक जी और प्रकाश पर्व
धवल चांदनी जग रोशन है
हँसते हुए सितारे
सुमन बरसता – भेज रहे हैं
“पावन-आत्मा”के स्वागत में
माँ टकटकी लगाये
होनहार कब आयें ,,,
आओ घी के दीप जलाएं
गुरु नानक से पूत हमारे
“कोख” अमर कर जाएँ
हो “प्रकाश पर्व ” कुछ ऐसा
दीवाली मन जाए
उनकी शिक्षा दीक्षा से हम
जीवन सफल बनायें
प्रेम की धरा बहे जहां इस
बंधन ना हो कोई
सिंध-पाक -अमृतसर चाहे
ननकाना दरबार
मानव-मानवता भर जाए
वीर-सपूत हजार
गुरु-ग्रन्थ साहिब को माथे
रख के करें प्रचार
सत्य धर्म अरु प्यार अहिंसा
कभी ना होए अत्याचार
पंज-आब से धरती अपनी
श्रम से चलो बनाएं
हरियाली-खुशहाल-शांति
हर प्रदेश फैलाएं
चलो गरीबी भूख को भाई
जग से दूर भगाएं
भूख मिटे फिर ना हो चोरी
गुरु शिक्षा से उन्नत हो के
बनें गुरु हम विश्व पटल में
पंख फैलाएं -उड़ जाएँ हम
नभ के तारे छू छू आयें
“मंथन” सागर कर जाएं
शत सहस्त्र हम दीप जलाएं
रोशन मन तन कर जाएं
हँसते हुए सितारे
सुमन बरसता – भेज रहे हैं
“पावन-आत्मा”के स्वागत में
माँ टकटकी लगाये
होनहार कब आयें ,,,
आओ घी के दीप जलाएं
गुरु नानक से पूत हमारे
“कोख” अमर कर जाएँ
हो “प्रकाश पर्व ” कुछ ऐसा
दीवाली मन जाए
उनकी शिक्षा दीक्षा से हम
जीवन सफल बनायें
प्रेम की धरा बहे जहां इस
बंधन ना हो कोई
सिंध-पाक -अमृतसर चाहे
ननकाना दरबार
मानव-मानवता भर जाए
वीर-सपूत हजार
गुरु-ग्रन्थ साहिब को माथे
रख के करें प्रचार
सत्य धर्म अरु प्यार अहिंसा
कभी ना होए अत्याचार
पंज-आब से धरती अपनी
श्रम से चलो बनाएं
हरियाली-खुशहाल-शांति
हर प्रदेश फैलाएं
चलो गरीबी भूख को भाई
जग से दूर भगाएं
भूख मिटे फिर ना हो चोरी
गुरु शिक्षा से उन्नत हो के
बनें गुरु हम विश्व पटल में
पंख फैलाएं -उड़ जाएँ हम
नभ के तारे छू छू आयें
“मंथन” सागर कर जाएं
शत सहस्त्र हम दीप जलाएं
रोशन मन तन कर जाएं
हमारे सभी मित्र मण्डली को इस प्रकाश पर्व की ढेर सारी शुभ कामनाएं – हमारे महापुरुषों का आशीष सदा आप सब पर बरसे -एक प्रभा मंडल और ज्योति आप के माथे पर विराजे ….सभी सपूतों को भ्रमर का नमन …
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल “भ्रमर’
हिमाचल
१०.११.२०११ ७.४०-८.२२ पूर्वाह्न
हिमाचल
१०.११.२०११ ७.४०-८.२२ पूर्वाह्न
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