नियम व निति निर्देशिका::: AIBA के सदस्यगण से यह आशा की जाती है कि वह निम्नलिखित नियमों का अक्षरशः पालन करेंगे और यह अनुपालित न करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से AIBA की सदस्यता से निलम्बित किया जा सकता है: *कोई भी सदस्य अपनी पोस्ट/लेख को केवल ड्राफ्ट में ही सेव करेगा/करेगी. *पोस्ट/लेख को किसी भी दशा में पब्लिश नहीं करेगा/करेगी. इन दो नियमों का पालन करना सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य है. द्वारा:- ADMIN, AIBA

Home » , , , , , » प्रदूषण का मारा ... कविता ---डा श्याम गुप्त....

प्रदूषण का मारा ... कविता ---डा श्याम गुप्त....

Written By shyam gupta on बुधवार, 11 मई 2011 | 3:44 pm

      प्रदूषण का मारा.....
        ( बृज भाषा )

हे बगुला ! तू कारो क्यों है ,
सूखौ ढीलौ ढालौ क्यों है ?
कितै गईं वे उजरी पंखियां ,
चौंच नुकीली तीखी अँखियाँ ||

दर्द तिहारौ दयौ , भला अब -
पूछत हौ दुःख भरी कहानी |
नदिया ताल नहरि पोखरि कौ,
तुमनै कियौ प्रदूषित पानी ||

मछरी कबहुं कबहुं मिलि जावे ,
कहाँ  प्रदूसन मैं पलि पावै |
कारन है जानौ पहचानौ,
भूखौ रहिबौ, दूषित खानौ ||

ताल- तलैया पाटि दये हैं ,
दूर दूर  उडि कै जाऊं मैं |
धुंआ डीज़ल मिली हवा में ,
पांखें कारी  करि लाऊँ मैं ||

खानौ पीनौ सब जहरीलौ,
क्यों न बदन हो सूखौ ढीलौ |
मंद भईं अँखियाँ चमकीली ,
कहा करै अब चौंच नुकीली ||

Share this article :

4 टिप्पणियाँ:

***Punam*** ने कहा…

पर्यावरण प्रदूषण पर मार्मिक कविता..

फिर भी सुन्दर....!!

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

sachet karti rachna

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

डॉ श्याम जी बहुत खूब प्रदुषण का वर्णन बगुला भगत के मुख से -अच्छा सन्देश -बधाई हो -काश बगुला भगत को लोग फिर से श्वेत बना दें -
नदिया ताल नहरि पोखरि कौ,
तुमनै कियौ प्रदूषित पानी ||

Pallavi saxena ने कहा…

सुंदर प्रस्तुती ....

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for your valuable comment.