नियम व निति निर्देशिका::: AIBA के सदस्यगण से यह आशा की जाती है कि वह निम्नलिखित नियमों का अक्षरशः पालन करेंगे और यह अनुपालित न करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से AIBA की सदस्यता से निलम्बित किया जा सकता है: *कोई भी सदस्य अपनी पोस्ट/लेख को केवल ड्राफ्ट में ही सेव करेगा/करेगी. *पोस्ट/लेख को किसी भी दशा में पब्लिश नहीं करेगा/करेगी. इन दो नियमों का पालन करना सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य है. द्वारा:- ADMIN, AIBA

Home » » मत रो आरुषि

मत रो आरुषि

Written By Minakshi Pant on रविवार, 13 फ़रवरी 2011 | 2:32 pm



वेसे ये नई बात नहीं ये तो रोज़ का ही  नज़ारा हैं !
हर किसी अख़बार के  इक  नए  पन्ने मैं ...
आरुशी जेसी मासूम का कोई न कोई हत्यारा है !
पर लगता है आरुशी के साथ मिलकर सभी मासूमों ने
एक बार फिर से इंसाफ को पुकारा है !
क्या छुपा है इन अपलक निहारती आँखों मैं ,
ये कीससे गुहार लगाती है ?
खुद का इंसाफ ये चाहती है ?
या माँ - बाप को बचाना चाहती है ?
उसने तो दुनिया देखि भी नहीं ,
फिर कीससे आस  लगाती है !
जीते जी उसकी किसी ने न सुनी ,
मरकर अब वो किसको अपना बतलाती है !
गुडिया ये रंग बदलती दुनिया है !
इसमें कोई न अपना है !
तू क्यु इक बार मर कर भी ...
एसे मर - मर के जीती है !
यहाँ एहसास के नाम पर कुछ भी नहीं ,
मतलब की दुनिया बस बसती है !
न कोई अपना न ही पराया है
लगता है हाड - मांस की ही बस ये काया है  !
जिसमें  प्यार शब्द का एहसास नहीं !
किसी के सवाल  का कोई  जवाब नहीं !
तू अब भी परेशान सी रहती होगी  ?
लगता है  इंसाफ के लिए रूह तडपती होगी !
अरे तेरी दुनिया इससे सुन्दर होगी ?
मत रो तू एसे अपनों को !
तेरी गुहार हर मुमकिन पूरी होगी !
तेरे साथ सारा ये जमाना है !
कोई सुने न सुने सारी दुनिया की ...जुबान मै
 सिर्फ और सिर्फ तेरा ही फसाना है !
Share this article :

4 टिप्पणियाँ:

Shalini kaushik ने कहा…

sahi kaha meenakshi ji
matlab ki duniya hai.bhavpoorn kavita.

Atul Shrivastava ने कहा…

मार्मिक रचना।

Saleem Khan ने कहा…

मीनाक्षी जी जब मैं ये ख़बर टीवी पर पहली मर्तबा देखा तो शक माँ-बाप पर ही आ रहा था !

behatreen kavita!

Saleem Khan ने कहा…

मीनाक्षी जी जब मैं ये ख़बर टीवी पर पहली मर्तबा देखा तो शक माँ-बाप पर ही आ रहा था !

behatreen kavita!

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for your valuable comment.