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क्या रोमांचक होगा विश्व कप ?-----दिलबाग विर्क

Written By दिलबागसिंह विर्क on गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011 | 9:04 pm

देश क्रिकेटमय हो चुका है क्योंकि क्रिकेट का महाकुंभ भारतीय उपमहाद्वीप में शुरू होने जा रहा है . असली मुकाबले अब बहुत दूर नहीं हैं. क्रिकेट का यह महाकुंभ जितना रोमांचक होना चाहिए उतना रोमांचक हो पाएगा या नहीं , यह भविष्य के गर्भ में है .वैसे पहली नजर में यह शंका उचित प्रतीत नहीं होती क्योंकि क्रिकेट के मुकाबले में रोमांच तो होगा ही और जब बात विश्व कप की हो तो शंका की कोई बात हो ही नहीं सकती , लेकिन इस दसवें विश्व कप का प्रारूप शंकित करता है . इसमें 14 टीमें दो ग्रुपों में विभाजित हैं . प्रत्येक ग्रुप की प्रथम चार टीमें नॉक आउट दौर में पहुंचेगी . यदि संख्या को देखा जाए तो सात में से चार का दूसरे दौर में पहुंचना संघर्ष पैदा करने वाला होना चाहिए , लेकिन जब ग्रुप में नीदरलैंड , आयरलैंड , कनाडा , केन्या जैसी टीमें हो तब यह मुश्किल काम नहीं रह जाता . क्रिकेट में सिर्फ आठ टीमें ही एक-दूसरे को टक्कर देने वाली हैं . बंगलादेश और ज़िम्बाव्बे कभी कभार टक्कर देती हैं . केन्या ने शुरुआत में जो संघर्ष क्षमता दिखाई थी उसमें अब वो नदारद है .कनाडा , आयरलैंड , नीदरलैंड तो नौसिखिया ठहरी . अत: एक ग्रुप में पाँच टीमें टक्कर की हैं जिनमें से चार दूसरे दौर में होंगी . जो पांचवी टीम बाहर होगी उसका नाम लगभग निश्चित है . संक्षेप में कहें तो ग्रुप A में श्रीलंका , पाकिस्तान , आस्ट्रेलिया , न्यूजीलैंड और ग्रुप B में भारत , द.अफ्रीका , इंग्लैण्ड , वेस्टइंडीज़ की टीमें दूसरे दौर में होंगी .
       जिस खेल के बारे में कहा जाता है कि अंतिम गेंद से पहले भविष्यवाणी नहीं की जा सकती उसके महाकुंभ की शुरुआत में ही यदि यह कहा जाए कि ये आठ टीमें दूसरे दौर में होंगी तो रोमांच कहाँ रह जाता है  . यही इस विश्व कप की सबसे बड़ी खामी है . यदि दूसरा दौर सुपर सिक्स का होता और एक ग्रप की सिर्फ तीन टीमें दूसरे दौर में पहुंचती तो पहले दौर का हर मुकाबला महत्वपूर्ण हो जाना था जो अब नहीं है .इसके अतिरिक्त दूसरे दौर में हर टीम के पास एक मौका है . एक हार उन्हें विदा कर देगी ,जो निराशाजनक है . यदि सुपर सिक्स होता तो अंतिम चार में पहुंचने के लिए सबके पास तीन मौके होते . फिर सुपर सिक्स रखने से सिर्फ पाँच मैच बढ़ते जो बहुत ज्यादा नहीं थे .
           अब कुछ नहीं हो सकता सिवाए इंतजार के . अब तो उम्मीद करनी चाहिए कि बंगलादेश और जिम्बाव्बे की टीमें अच्छा खेलें ताकि प्रथम दौर रोमांचक हो सके . यदि ये टीमें अच्छा नहीं खेली तो पहला दौर विश्व कप के मैच न लगकर साधारण अंतर्राष्ट्रीय मैच बन जाएँगे जिनका कोई अलग-से महत्व नही होगा .
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