विवशता
बड़ी देर से
इंतजार था कुत्ते को
रोटी के टुकड़े का
और जैसे ही
इंतजार समाप्त होने को आया
घट गई एक अनोखी घटना
मालिक के
रोटी फैंकते ही
एक कौआ
न जाने कहाँ से
उतरा जमीन पर
झट से रोटी को
दबाकर चोंच में
उड़ गया फुर्र से
कुत्ता बेतहाशा उसके पीछे दौड़ा
मगर उसकी दौड़-धूप भी
कोई रंग न लाई
हारकर
थककर
टूटकर
एक मजदूर की भाँति
विवश-सा होकर
वह बैठ गया
और उससे थोड़ी दूरी पर
वह कौआ
पेड़ की शाख पर
ऐसे ही बैठा था जैसे
बैठा हो
मिल मालिक कोई .
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3 टिप्पणियाँ:
वर्तमान में आम आदमी की हालत भी कुछ ऐसी ही है।
अच्छी व्यञ्जना...........
बिचौलियों का ही बोलबाला है।
एक अच्छी पोस्ट...........
har kutte ka din aata hai .ek din kauva hadbadi me hoga aur uske panje se roti ka tukda jaroor neeche girega .badhiya post .
वाह क्या बात है मालिक और मिल मालिक,,,,
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Thanks for your valuable comment.