दिवाली के दिनों में सब तरफ पटाखे चल रहे थे।
ऐसे में गजोधर के बच्चे ने नीचे से अपने पिताजी को जोर से आवाज दिया,
'' पिताजी आप बाल्कनी में आओ और नीचे देखो ...
देखो मै कितना बडा पटाखा जला रहा हूं''
गजोधर ने बाल्कनी से नीचे देखा और वह
""नही...."" चिल्लाता हुआ नीचे दौड पडा।
जब गजोधर नीचे पहूंचा तो उसका बच्चा वह पटाखा जला ही रहा था
तो गजोधर ने '' नही....'' कहते हूए उसे जोर से धक्का देकर दूर गिरा दिया।
गजोधर के बच्चे ने अपने मैले हूए कपडे झटकते हूए,
उठते हूए अपने पिताजी से पुछा,
'' क्यों क्या हुआ ?''
गजोधर ने अपने बच्चे को डांटते हूए कहा ,
'' गधे वह पटाखा नही... गेस का सिलेंडर है"
ऐसे में गजोधर के बच्चे ने नीचे से अपने पिताजी को जोर से आवाज दिया,
'' पिताजी आप बाल्कनी में आओ और नीचे देखो ...
देखो मै कितना बडा पटाखा जला रहा हूं''
गजोधर ने बाल्कनी से नीचे देखा और वह
""नही...."" चिल्लाता हुआ नीचे दौड पडा।
जब गजोधर नीचे पहूंचा तो उसका बच्चा वह पटाखा जला ही रहा था
तो गजोधर ने '' नही....'' कहते हूए उसे जोर से धक्का देकर दूर गिरा दिया।
गजोधर के बच्चे ने अपने मैले हूए कपडे झटकते हूए,
उठते हूए अपने पिताजी से पुछा,
'' क्यों क्या हुआ ?''
गजोधर ने अपने बच्चे को डांटते हूए कहा ,
'' गधे वह पटाखा नही... गेस का सिलेंडर है"
2 टिप्पणियाँ:
mujhe to lagta jatigat aakshep bhle hi vo mzak hon , desh ka mahul bigadte hain , aapko inse bachna chahie tha
aapki post padkkar behad nirasha hui
gjodhar shabd ke istemal se post men jan padh gai hai. aapne meri tippni ko skaratmk liya . esi hi aasha thi .
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for your valuable comment.