इतिहास बताता है कि थोड़े समय पहले ही भारतीय परंपरा के अनुसार लड़कियों को हमारे पूर्वज घरेलू काम सिखाया करते थे , वे लड़कियों को घर का काम सिखाते थे , घर से बाहर निकलने भी कम देते थे , उन्हें पढ़ने लिखने भी नहीं देते थे , लड़कियों को अपनी जायदाद में हिस्सा भी वे नहीं देते थे , वे बुजुर्ग अपनी लड़कियों की शादियाँ उनके रजस्वला होने से पहले 8-10 वर्ष की उम्र में ही कर देते थे , विधवा होने पर उसे सती कर देते थे या किसी कोने में डाल देते थे लेकिन उसका पुनर्विवाह नहीं करते थे, जो आदमी दहेज के कारण अपनी लड़की की शादी नहीं कर पाता था वह उसे देवदासी बना देता था और देवताओं के पुजारी पंडे उसे वेश्या बना देते थे और आज भी बना रहे हैं । शब्दकोष में विधवा शब्द का एक अर्थ वेश्या भी अंकित है ।
ये थे आपके पूर्वजों के संस्कार । ये संस्कार हरेक विधवा को मनहूस और वेश्या बना देते हैं ।
आपके पूर्वज विवाह को एक ऐसा संस्कार बताकर गए हैं जिसमें एक औरत अपने पति से सात जन्मों के लिए बंधी होती है । ऐसे में केवल पति की देह का अंत होता है , उसके साथ उसके रिश्ते का नहीं । तब पहले पति के साथ रिश्ता बाक़ी होने के बावजूद भी औरत अगर भौतिक ज़रूरतों की ख़ातिर किसी अन्य पुरूष का साया अपने ऊपर लेती है तो उसे पत्नी किसकी कहा जाएगा ?
समय के साथ भारत की बहुत सी परंपराएं और मूल्य लुप्त हो चुके हैं और जो थोड़े बहुत बचे खुचे रह गए हैं , ये भी जल्दी ही लुप्त होने वाले हैं ।
भारत की युवा पीढ़ी को देखकर हरेक आदमी यह बात आसानी से जान सकता है ।
ये थे आपके पूर्वजों के संस्कार । ये संस्कार हरेक विधवा को मनहूस और वेश्या बना देते हैं ।
आपके पूर्वज विवाह को एक ऐसा संस्कार बताकर गए हैं जिसमें एक औरत अपने पति से सात जन्मों के लिए बंधी होती है । ऐसे में केवल पति की देह का अंत होता है , उसके साथ उसके रिश्ते का नहीं । तब पहले पति के साथ रिश्ता बाक़ी होने के बावजूद भी औरत अगर भौतिक ज़रूरतों की ख़ातिर किसी अन्य पुरूष का साया अपने ऊपर लेती है तो उसे पत्नी किसकी कहा जाएगा ?
समय के साथ भारत की बहुत सी परंपराएं और मूल्य लुप्त हो चुके हैं और जो थोड़े बहुत बचे खुचे रह गए हैं , ये भी जल्दी ही लुप्त होने वाले हैं ।
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