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ज़िन्दगी के गीत

Written By रश्मि प्रभा... on गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011 | 10:12 am



बहुत पहले
मौत ने मेरा दरवाज़ा खटखटाया था
उसकी वह असामयिक अप्रत्याशित शक्ल
मुझे अन्दर तक हिला गई थी !
घबराकर मैंने दरवाज़ा बन्द करना चाहा
पर मौत ने पुरजोर हमला किया
दहशत से पुकारा था मैंने 'उसे '
पर वक़्त की बंदिशों का ताला
मेरे गले से कोई आवाज़ नहीं निकली ...
मौत से जूझने का इरादा न था
समय की मांग कहो
या जीने की चाह
मेरी मौत से ठन गई !
भय से थरथराते कदम
धरती पर संतुलन बनाने लगे
हर चुनौती से हाथ मिलाने लगे
आँधियों में जलाये कंपकंपाते दिए !
मौत स्तब्ध हुई
अँधेरा और किया
पर बंदिशों के बांध उजालों की खातिर
ढहने लगे !
अब मैं और मेरी बंदिशें
खुद को खुद की दृष्टि से देखते हैं
मौत के साए के आगे
ज़िन्दगी के गीत गाते हैं ....
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11 टिप्पणियाँ:

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

वाह क्या बात है ... हिम्मत के आगे कभी कभी मौत भी हार जाती है ...

mark rai ने कहा…

bahut hi sunder rachna..........wakai bahut kuch sikhne ko milta hai........mout ke andesha hone par bhi zindagi ke geet gane ka man karta hai...........

सदा ने कहा…

पर बंदिशों के बांध उजालों की खातिर
ढहने लगे !
अब मैं और मेरी बंदिशें
खुद को खुद की दृष्टि से देखते हैं

अदम्‍य साहस दर्शाती यह पंक्तियां ...बहुत ही गहन भावों के साथ ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

Rajiv ने कहा…

"अब मैं और मेरी बंदिशें
खुद को खुद की दृष्टि से देखते हैं
मौत के साए के आगे
ज़िन्दगी के गीत गाते हैं ...."
काफी प्रेरक गीत.बधाई.

सुनील गज्जाणी ने कहा…

पर बंदिशों के बांध उजालों की खातिर
ढहने लगे !
अब मैं और मेरी बंदिशें
खुद को खुद की दृष्टि से देखते हैं

अदम्‍य साहस दर्शाती यह पंक्तियां .
गहन भावों के साथ

Minakshi Pant ने कहा…

सुन्दर एहसास और बेमिसाल हिम्मत को ब्यान करती रचना !
खुबसूरत रचना !

kavita verma ने कहा…

मौत के साए के आगे
ज़िन्दगी के गीत गाते हैं yahi sakaratmakta sari pareshaniyon se par pane me sahayak hoti hai...

राजेश उत्‍साही ने कहा…

मौत के साए में ही जिन्‍दगी के गीत गाए जाते हैं। क्‍योंकि वह तो हमारी प्रतीक्षा में है ही। जब तक जिन्‍दगी के गीत गाते रहेंगे वह दूर रहेगी।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अब मैं और मेरी बंदिशें
खुद को खुद की दृष्टि से देखते हैं
मौत के साए के आगे
ज़िन्दगी के गीत गाते हैं
वाह , ज़िंदगी जियो तो ऐसे ही गुनगुनाते हुए ...बहुत अच्छी प्रस्तुति

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

वाक़ई , आपकी रचनाएं क़ायल करती हैं ।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

behad sakaaraatmak rachna, badhai rashmi ji.

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