प्रिये !
सूरज की महत्ता ,
भादों में धूप का अकाल पडने पर-
सामने आती है |
इसी तरह,
तुम्हारे बिना, आज-
मन का कोना कोना गीला है ;
जैसे बरसात में ,
सूरज के बगैर ,
कपडे गीले रह जाते हैं |
वस्तु की महत्ता का बोध, उसकी-
अनुपस्थिति से बढ़ जाता है |
इसलिए, तुम्हारी अनुपस्थिति में ,
हर बार-
तुम्हारे आकर्षण का,
एक नया आयाम मिल जाता हैं |
लहरों और कूलों के आपसी सम्बन्ध में,
अणु-कणों के आतंरिक द्वंद्व में,
सर्वत्र- संयोग और वियोग का क्रंदन है |
संयोग और वियोग,
वियोग और संयोग,
सभी में, इसी का स्पंदन है ;
यही जीवन है || -----काव्य दूत से...
सूरज की महत्ता ,
भादों में धूप का अकाल पडने पर-
सामने आती है |
इसी तरह,
तुम्हारे बिना, आज-
मन का कोना कोना गीला है ;
जैसे बरसात में ,
सूरज के बगैर ,
कपडे गीले रह जाते हैं |
वस्तु की महत्ता का बोध, उसकी-
अनुपस्थिति से बढ़ जाता है |
इसलिए, तुम्हारी अनुपस्थिति में ,
हर बार-
तुम्हारे आकर्षण का,
एक नया आयाम मिल जाता हैं |
लहरों और कूलों के आपसी सम्बन्ध में,
अणु-कणों के आतंरिक द्वंद्व में,
सर्वत्र- संयोग और वियोग का क्रंदन है |
संयोग और वियोग,
वियोग और संयोग,
सभी में, इसी का स्पंदन है ;
यही जीवन है || -----काव्य दूत से...
1 टिप्पणियाँ:
लहरों और कूलों के आपसी सम्बन्ध में,
अणु-कणों के आतंरिक द्वंद्व में,
सर्वत्र- संयोग और वियोग का क्रंदन है |
Sanyog ayr viyog...rason ko vyakhyayit karti achchhi kavita....
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