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ग़ज़लगंगा.dg: ताजगी की एक इबारत.......

Written By devendra gautam on मंगलवार, 21 जून 2011 | 7:44 pm

ताजगी की एक इबारत और क्या.
मेरी बस इतनी सी चाहत और क्या.

बैठे-बैठे लिख रहा होगा खुदा
हम सभी लोगों की किस्मत और क्या.

जिंदगी भर की मशक्कत का सिला
एक कागज़ की इमारत और क्या.

दूसरों के सर पे रख आते हैं हम
अपने हिस्से की मुसीबत और क्या.

ग़ज़लगंगा.dg: ताजगी की एक इबारत.......
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2 टिप्पणियाँ:

रविकर ने कहा…

सही
बिलकुल सही

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा!! और क्या!!

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