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Written By आपका अख्तर खान अकेला on मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011 | 8:36 am

बारावफात कहें या ईद मिलादुन्नबी , ख़ुशी मनाये या गम ... ?

Monday, February 14, 2011

जी हाँ दोस्तों कल १२ रबीउलअव्वल यानी इस्लाम के आखरी पैगम्बर हजरत मोहम्मद रज़ी अलाह ताला का जन्म दिन हे कल के ही दिन उनका जन्म हुआ था लेकिन अफ़सोस नाक बात यह हे के इसी दिन विश्व भर में नेकी और इन्साफ की शिक्षा का परचम आम करने वाले हर दिल अज़ीज़ खुदा की तरफ से आदमियों की उम्मत में से भेजे हुए इस पैगम्बर ने पर्दा लिया था यानी विसाल हुआ था अब एक दिन जिसमें ऐसी अज़ीम पैगम्बर शख्सियत के जन्म की ख़ुशी और इसी दिन इन के विसाल के दुःख की खबर क्या किया जाए गम किया जाए या ख़ुशी मनाई जाए होना क्या चाहिए इसमें कई मत हे लेकिन हम देखते हे इस दिन मोलाना लोग खूब चंदा करते हें सडकों पर प्रदर्शन करते हें जुलुस निकालते हें , कुछ मोलाना हे जो हुजुर मोहम्मद साहब की शिक्षा की चर्चा आम करते हें , सब जानते हें खुदा के सबसे अज़ीज़ पैगम्बर जिनके माध्यम से खुदा ने इस्लाम की शक्ल सूधारने के लियें कुरान के रूप में एक कानून एक आदेश एक निर्देश दिया वोह पैगम्बर हुजुर मोहम्मद सल्ललाहो अलेह वसल्लम हें लेकिन बारावफात सरकारी केलेंदरों में छपता हे जिससे से लगता हे के हम अफ़सोस मना रहे हें और १२ रबी उल अव्वल यानी पैदाइश का जश्न हम और हमारे मोलाना मनाते हें खेर यह बारीक़ बाते हें मोलाना ही जाने लेकिन कल इस दिन को कुछ लोग गरीबों को खाना खिला कर , रक्तदान कर मना रहे हें तो कुछ लोग जुलुस निकल कर खुद को घोड़े पर बग्घी पर बिठाकर निकालेंगे हुजुर मोहम्मद सल्लाहो अलेह वसल्लम के इस जुलुस में मालाएं मोलाना लोग पहनेंगे जय जय कार उनके नाम की होगी लाखों का चंदा होगा शायद उनकी यह सीख नहीं रही होगी ।
हुजुर सल्लाहो अलेह वसल्लम की शिक्षा थी के चारों तरफ दावते इस्लाम की धूम मची हो , उनकी शिक्षा थी के जो शख्स इरादे का पक्का हो वोह दुनिया को अपनी मर्जी के मुताबिक अल्लाह के हुक्म से ढाल सकता हे ,उनकी शिक्षा थी के जद्दो जहद ना करना मोहताजी का बैस होता हे और मोहताजी दिल को तंग अक्ल को खाफिफ बनाती हे ,वोह कहते थे म्सहिब से मत घबराइये क्योंकि सितारे अँधेरे में ही चमकते हें ,उनका कहना था दुनिया में थोड़े माल पर राज़ी रह ,और दूसरी की रोज़ी पर आँख मत डाल अगर तुम किसी पर अहसान करो तो उसे छुपाओ और कोई तुम पर अहसान करे तो उसे लोगों पर ज़ाहिर करों ताकि उसका होसला बढ़े, वोह कहते हें के जो अलाह के कम में लग जाता हे अल्लाह उसके काम में लग जाता हे , नसीहत करना आसान हे अम्ल करना मुश्किल हे ,जहां जबर हे वहा जूनून हे जहां सब्र हे वहा सुकून हे , बा अदब बा नसीब हे बे अदब बे नसीब हे ।
हुजुर पैगम्बर फरमाते थे जिस दिल में बर्दाश्त की कुवत होती हे वोह कभी शिकस्त नहीं खाता ,झूंठ से गुरेज़ करो ,सब्र और शुक्र से बढ़ कर को मीठी चीज़ नहीं हे ,तालीम इंसान को अखलाक सिखाती हे ,अपनी सीरत ऐसी खुशबूदार कली की तरह बनाओ जिसकी महक से सभी जगह खुशबु हो अखलाक एक ऐसा हिरा हे जो पत्थर को काट देता हे , जब पैसा बोलता आहे तो सच्चाई खामोश हो जाती हे गाली का जवाब नेकी से दो क्योंकि कबूतर और कव्वे की बोली में फर्क हे ,सबसे बढ़ा अख्तावर वोह हे जो लोगों की बुराइयों का बयान करता हे अलाह के सिवाय किसी से उम्मीद मत रखो ,कुच्छ ऐसी ही शिक्षाएं हें जिन्हें ना हम मानते हें ना हमारे मोलाना मोलाना हे के धर्म को हर हाल में पेट पालने का साधन बनाना चाहते हें और हम हे के खुद इस्लाम को पढना अपनाना नहीं चाहते केवल नामा के ही मुसलमान हे हाजी हे लेकिन हमारी हरकतें उफ्फ्फ खुदा खेर करे कोई देखे तो सोचेगा क्या ऐसा होता हे इस्लाम इसलियें दोस्तों अपने अखलाक से ऐसा माहोल बनाओ के लोगों के जहन में जो इस्लाम की गलत तस्वीर बनी हे उसे अपने अखलाक से अपने समर्पण से बदल डालो ताके वोह कहें के अगर मखलूक उम्मत ऐसी हे तो इस कोम के रसूल केसे होंगे ............ । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

इस्तीफे की जगह मुर्गा बनने की शरारत

जोधपुर नगर निगम में एक सहवरित पार्षद आजम जिन्हें जोधपुर में पोलीथिन के खिलाफ अभियान की ज़िम्मेदारी दी थी जब वोह इस काम में नाकामयाब और फिसड्डी साबित हुए तो दुसरे विपक्षी पार्षदों के प्रकोप से बचने के लियें उन्होंने खुद को बचाने के लियें अनोखा फार्मूला निकाला और बीच बैठक में सदन के समक्ष मुर्गा बन कर प्रायश्चित किया ।
सहवरित पार्षद आज़म को खतरा था के बैठक में सभी उनके लियें मुसीबत खड़ी कर देंगे और हो सकता हे इस नाकामयाबी की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पढ़ जाए इसलियें उन्होंने दूसरों के प्रकोप का भाजन बनने से बचने के लियें हंसी का पात्र बनना बहतर समझा और सदन की अध्यक्षता कर रहे महापोर जी से अनुमति चाही के वोह अपने कारनामों में नाकामयाब रहे हें शहर से पोलीथिन नहीं हटा सके हें इसलियें वोह अपनी इस नाकामयाबी के लियें प्रायश्चित करते हुए खुद एक सजा तजवीज़ कर रहे हें और सदन के समक्ष जोधपुरी मुर्गा बनना चाहते हें शायद पहले से ही मेच फिक्सिंग का मामला था इसलियें महापोर जी ने अनुमति दी और पार्षद आजम जी जोधपुरी मुर्गा बन गये काफी वक्त तक वोह मर्गा बने मुद्रा में खड़े रहे और लोग उन पर गुस्सा होने की जगह हंसते रहे और तालिया बजाते रहे तो ऐसे क्या पार्षद ने खुद के नाकामयाब होने पर विपक्ष के कोप भाजन से बचने के लियें ।
शायद देश के इतिहास में यह पहला वाकया हे के कोई व्यक्ति सदन के बीच खुद स्वेच्छा से मुर्गा बना हो और इस तरह से अपनी नाकामयाबी का प्रायश्चित किया हो । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मुख्यमंत्री गहलोत से अभद्रता

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कल जब मुख्यमंत्री निवास पर जन सुनवायी कर रहे थे तो अचानक एक विक्षिप्त युवक ने उनके गिरेबान पर हाथ डालना चाहा जिसे सुरक्षा कर्मियों ने पकड़ा , पीटा लेकिन मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर इस युवक को उसके गाँव में पुलिस सुरक्षा में पहुंचा दिया गया ।
कल जोधपुर में लाईट चली जाने के बाद और अन्धेरा होने पर भी मुख्यमंत्री जी ने इस अव्यवस्था के लियें वहां किसी भी अधिकारी को ज़िम्मेदार मान कर निलम्बित नहीं किया लेकिन उन्होंने लोगों से मिलकर जन सुनवाई नहीं टाली और सिर्फ एक टोर्च की रौशनी में उन्होंने जनता की समस्याएं सुन कर उनका निदान करने का प्रयास किया जयपुर में अचानक बदले इस घटनाक्रम से मुख्यमंत्री गहलोत विचलित नहीं हुए हें उनका कहना हे के वोह तो एक सामान्य घटना हे कोई भी अपनी समस्या लेकर आता हे उसका बर्ताव कुछ भी हो सकता हे लेकिन मेरा काम जनसुनवाई करना हे इसलियें में तो समस्याएं सुनूंगा इन परिस्थितियों में मुख्यमंत्री गहलोत के इस रवय्ये ने राजस्थान की जनता का दिल जीत लिया हे इतना ही नहीं गहलोत ने इस हमलावर युवक की स्थिति जानी पुलिस सुरक्षा में उसकी सुनवाई की उससे ऐसा करने का कारण जाना और फिर इस युवक को सोडाला जयपुर पुलिस की अभिरक्षा में देकर उसे मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर जेल भेजने के स्थान पर युवको को उसके गाँव भेजा गया जहां उसकी माँ इस युवक का इन्तिज़ार कर रही थी मुख्यमत्री की इस अदा ने तो उनकी लोकप्रियता में और चार चाँद लगा दिए हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

शादी की ख़ुशी में गोली चलने से रंग में भंग पढ़ा

कोटा में प्रेमनगर बस्ती की एक शादी समारोह में बंदूक से सलामी देने के लियें ख़ुशी ज़ाहिर क्या की के दुःख का कारण बन गया और आज इस दुर्घटना में घायल चार लोग अस्पताल में भर्ती हें ।
कोटा प्रेमनगर में कल शादी समारोह में एक व्यक्ति ने रस्म के हिसाब से विदायगी के वक्त दो बार बारह बोर से फायर किये एक फायर तो ठीक चला लेकिन कारतूस पुराना ह्नोए से जब दुसरा कारतूस नहीं चला तो बंदूकची ने अपनी लाइसेंसी बंदूक को जब चेक करना चाहा तो बंदूक से अचानक फायर हो गया और छर्रे टकरा कर वहां महमानों के जा लगे जिससे एक की आँख खराब हो गयी हे तीन दुसरे लोग घायल हें जो अभी अस्पताल में भर्ती हे तो जनाब किसी भी शादी में अब बंदूक बाज़ी से रंग में भंग पढ़ सकता हे इसलियें धमाकों के लियें आतिशबाजी से ही काम चलाना अच्छा हे वरना शासी ब्याहोने में रंग में भग पढ़ सकता हे अब दुल्हा और रिश्तेदार जेल में बंद बंदूकची की जमानत के प्रयासों में जुटे हें जबकि कुछ रिश्तेदार घायलों की तीमारदारी में अस्पताल में रुके हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बिना हेलमेट के भी सडक दुर्घटनाओं में मोतें

दोस्तों कोटा सहित कुछ शहरों में हेलमेट के नाम पर अख़बार प्रचार के लियें पुलिस लूट से जनता परेशान हे जबकि कोई भी पुलिस दुर्घटनाओं के मूल कारणों पर नहीं जा रही हे और कल इसी लियें नागोर अजमेर मार्ग पर एक ही गाँव के २४ श्रद्धालुओं की अक़ल म़ोत हो गयी ।
राजस्थान में भरी वाहनों पर ओवर लोडिंग और दूसरी जांच के मामले में सख्ती इस लियें नहीं हे के इनसे अवेध चोट वसूली की बढ़ी रकम अधिकारीयों को प्राप्त होती हे और अधिकारी सरकार और संगठन में रेली वगेरा के दोरान खुद वाहनों की व्यवस्था करवाते हें इसीलियें यातायात नियम सडकों पर केवल हेलमेट तक ही सिमट कर रह गया हे बाक़ी सभी कानून नदारद हें , कल इसीलियें एक ट्रोला जो शायद अवेध रूप से ही संचालित हो रहा होगा एक पिकअप जिसमे भी शायद कानून की पालना में सवारी नहीं बेठी होगी बस इसीलियें एक बढ़ी दुखान्तिका मुक्यमंत्री के इलाके में हो गयी २४ लोग अचानक म़ोत के घात उतर गये लेकिन सरकार हे के सुधरी नहीं यातायात सूधारने और दुर्घटनाओं से लोगों को बचाने के लियें जहां सख्ती करना चाहिए वहां तो सख्ती नहीं हे और हाँ जहां सख्ती नहीं होना चाहिए वहां सख्ती हे अब भी कुछ नहीं बिगड़ा हे सरकार चाहे तो अभी से राष्ट्रिय राज मार्ग और राज्य राज मार्गों के लियें जो कानून हें उनकी सख्ती से पालना शुरू करवड़े वरना फिर नई दुखान्तिकाओं से सामना होना पढ़ सकता हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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