वक्त करता जो वफा .... .. .
Saturday, February 12, 2011
दोस्तों एक गीत हे ;वक्त करता जो वफा तो आप हमारे होते ,, वक्त से हम और आप कोन जाने कब बदले वक्त का मिजाज़ , कहते हें वक्त सिकन्दर होता हे , वक्त हमेशां एक जेसा नहीं रहता , कोन जाने कब किस का वक्त बदल जाये , कहते हें जिसने वक्त की ना की कद्र उसकी वक्त ने नहीं की कद्र इन सब कहावतों के बीच देश वक्त के भंवर में फंसा हे और वक्त का य्हना हर हिन्दुस्तानी मजाक उढ़ा रहा हे ।
दोस्तों आज कोटा भारतेंदु समिति में एक कार्यक्रम शमशेर जी की स्मरति में १-३० बजे दिन में शुरू होना था मुझे भाई दिनेश जी द्विवेदी ब्लोगर किंग ने कहा आप को भी आना हे में इस कार्यक्रम में वक्त के हिसाब से १-२५ बजे जा पहुंचा घर के कई कामकाज शिड्यूल में थे लेकिन सब स्थगित कर दिए और वक्त से थोडा पहले भरतेंदु समिति पहुंचा वहां केवल अम्बिका दत्त जी थे और माइक वाला माइक लगा रहा था मेने घड़ी देखी इस हाल को देख कर में समझा शायद कार्यक्रम पहले ही हो चुका हे और सब लोग जा चुके हे माइक खोला जा रहा हे लेकिन पूछने पर पता चला के माइक खोला नहीं लगाया जा रहा हे टाइम निकला दो बज गये अम्बिका दत्त जी और मेरे अलावा एक दो और साहित्यकार आ गये कार्यक्रम में राजस्थान हाई कोर्ट के पूर्व जज और केन्द्रीय विधि आयोग के सदस्य जस्टिस शिवकुमार जी को मुख्य अतिथि बन कर आना था उनसे बात करने की कोशिश की लेकिन मोबाइल बंद था थोड़ी देर में आयोजक महेंद्र नेह साहब आये पता चला शिवकुमार जी का स्वस्थ खराब हे इसलियें अब वोह नहीं आयेंगे ।
इसी बीच देश में वक्त की पाबंदी का लेक्चर शुरू हो गया एक साहब ने कहा के एक एम एल ऐ हेमंड यादव वक्त पर पहुंचने के आदतन थे वोह कार्यक्रमों में पांच साल टक बुलाये जाने पर परेशान रहे क्योंकि जब वोह जाते थे तो कार्यक्रम के आयोजक भी मोके पर नहीं पहुंच पाते थे फिर राजस्थान सरकार में पंचायत मंत्री भरत सिंह का ज़िक्र चला कहा गया के भरत सिंह जी प्रारम्भ में हर कार्यक्रम में वक्त पर जाते थे लेकिन कई कार्यक्रमों में तो वक्त पर जाने से उन्हें पहचाना तक नहीं गया नतीजा यह निकला एक दो कार्यक्रम में तो उन्होंने वक्त पर पहुंचने की जिद बनाये रखी लेकिन जब देखा के पुरे कुए में ही भांग घुट रही हे तो उन्होंने फिर कार्यक्रमों में वक्त पर जाना बंद कर दिया ।
एक वकील साहब आये उन्होंने कहा के अदालत में ही देखलो पक्षकार अदालत में भटकते रहते हे और अधिकतम वकील हें के ११ बजे से २ बजे दिन तक आते रहते हें और जो वकील दस बजे अदालत पहुंचते हें उन्हें बेवकूफ बताते हे एक कर्मचारी जी थे उन्होंने कहा के दफ्तरों में भी अगर सही टाइम पर चले जाओ तो बेवकूफ और निकम्मा कहा जाता हे और जो कर्मचारी देर से जाता हे वही अफसर का खास होता हे और दफ्तर में भी लेट लतीफ कर्मचारियों की ही चलती हे ।
एक पंडित जी आ गये वोह कहने लगे के साहब हद तो यह हे के ख़ास पूजा का मुहरत निकलवाया जाता हे वक्त तय होता हे और कार्ड छपते हें अगर वी आई पी कोई मंत्री जी हों और वोह लेट हो जाएँ तो मुहरत भी लेट हो जाता हे और पूजा भी लेट कर दे जाती हे । अब देश में वक्त का यह हाला हे किसी को वक्त की कद्र नहीं हे टाइम के पाबन्द को बेवकूफ और देर से जाने वाले को रईस और अक्लमंद कहा जाता हे तो दोस्तों देश में वक्त से जब हम वफा नहीं कर रहे तो देश में वक्त हमारा वफादार केसे रह सकता हे आज वक्त का ही तकाजा हे के देश में अराजकता की स्थिति हे भाई भिया का सगा नहीं दफ्तरों में महा भ्रस्ताचार हे देश कई साल पीछे जा रहा हे दफ्तरों अदालतों में लेट लतीफ लोगों के कारण पत्रावलियों के अड़म्बार लगे हें अब ना जाने कब देश के लोगों में अक्ल आएगी और वोह वक्त की बेशकीमती कीमत को समझेंगे और इस देश को वापस से सोने की चिड़िया बनायेंगे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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