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शुक्रिया जनाब

Written By नीरज द्विवेदी on बुधवार, 7 सितंबर 2011 | 4:09 pm


हम शुक्रगुजार हैं उनकेजिसने ठुकराया है हमें,
अपने भावों को कविता मेंपिरोना सिखाया है हमें।

उनके इस तरह जाने कागम क्या करें रब से,
उसने ही तो रोते हुए मुस्कुराना, सिखाया है हमें।

हम तो उनकी इस अदा कोजुल्म भी न कह सके,
इस अदा ने ही तोअपना आशिक बनाया है हमें।
शुक्रिया जनाब
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