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हमारी जिद

Written By नीरज द्विवेदी on बुधवार, 7 सितंबर 2011 | 4:12 pm


इस गुस्ताख दिल काऔर हस्र क्या करोगी तुम
हम तो ढंग से, रो भी नहीं सके, तेरे आजमाने में।

जिंदगी बड़ी मुबारक चीज हैरब की इनायत है
पर हमें इस तरह जीनागंवारा नहीं तेरे फंसाने में।

हम बहुत जिद्दी थे कभीअपने किसी जमाने में,
तुम्हे ही पाने की जिद छोड़ दीएक बार ठोकर खाने में।
हमारी जिद
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