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दिल की फरियाद के ख़त

Written By तरूण जोशी " नारद" on शनिवार, 24 सितंबर 2011 | 8:51 am













खून से लिखे थे ख़त वो दिल की फरियाद के
तड़पता था दिल वो मेरा तेरी ही याद में

वस्ल में रही तमन्ना तेरे ही दीदार की
जब हुआ दीदार तो वो घडी थी बहार की

वो बहार भी है रुक गई , वो बयार भी है मिट गयी
इन आँधियों से की है नारद उम्मीद क्यूँ तुने प्यार की

कांटो से उलझ कर घाव ही मिल पता है
बेवजह ही शिराओं से लहू छलक जाता है

इश्क करने की "नारद" यही एक कहानी है

लोग कहते है की इश्क जिंदगानी है
पर माना है मैंने बस यही* एक बेगानी है

*बस जिंदगी ही बेगानी है

"नारद"
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2 टिप्पणियाँ:

vandana gupta ने कहा…

उफ़ ……………सच कहा ज़िन्दगी ही बेगानी है।

तरूण जोशी " नारद" ने कहा…

Dhanywaad vandanaji

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