उस रास्ते से तो, अब तक बहुत निकल गए होंगे,
अब तक तो सबके निशाँ आपस में मिल गए होंगे,
सड़क भी अब तक वहाँ बन गयी होगी,
अब तो सब गाडी में सोकर जाते होंगे,
तुझे भी गर सोकर जाना है,
जिन्दगी में खोकर ही जाना है,
बने बनाये रास्ते अपना ले तब,
नए रास्तों की खोज में जिन्दगी न लगा अब,
तू भी मजे से सोकर निकल जा,
न होश रख, बस तू निकल जा,
सवार हो जा किसी गाडी में,
और अपनी मंजिल पे निकल जा,
अब ये वो दौर नहीं है की तू अपना रास्ता बना,
अब ये वो दौर नहीं है की तू होश में रहे सदा,
यहाँ तो बेसुध ही रहना है, सोते से रहना है,
जाग गर गए तो सब फिर सुला देंगे, इसलिए सोते ही रहना है,
यह होश वालों का नहीं, जोश वालों का दौर है,
यहाँ सब सोने वालों का दौर,
जागने वाला बेचारा सब को ले जाता है,
फिर भी उसकी फटी हालत पर तरस किसी को न आता है,
एक वही तो है जो जागा हुआ है,
पसीने से तरबतर अपना काम कर रहा है,
पेट भर फिर भी न उसको मिल रहा है,
जमाना अपना पेट मज़े से भर रहा है,
कितनों को उसने मंजिल पर है पहुँचाया,
अपना काम छोड़ दूसरों का काम करवाया,
आज उसकी ही हालत बुरी है,
ये दुनिया ऐसी ही धुरी है,
इसलिए तो भगवान् भी छुप गया है,
यह इंसान उसे भी नहीं छोड़ता है,
सवार होकर भगवान् पर अपनी बात मनवाना चाहता है,
भगवान् को फिर बुरा-भला भी कहना चाहता है,
------- बेतखल्लुस
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अब तक तो सबके निशाँ आपस में मिल गए होंगे,
सड़क भी अब तक वहाँ बन गयी होगी,
अब तो सब गाडी में सोकर जाते होंगे,
तुझे भी गर सोकर जाना है,
जिन्दगी में खोकर ही जाना है,
बने बनाये रास्ते अपना ले तब,
नए रास्तों की खोज में जिन्दगी न लगा अब,
तू भी मजे से सोकर निकल जा,
न होश रख, बस तू निकल जा,
सवार हो जा किसी गाडी में,
और अपनी मंजिल पे निकल जा,
अब ये वो दौर नहीं है की तू अपना रास्ता बना,
अब ये वो दौर नहीं है की तू होश में रहे सदा,
यहाँ तो बेसुध ही रहना है, सोते से रहना है,
जाग गर गए तो सब फिर सुला देंगे, इसलिए सोते ही रहना है,
यह होश वालों का नहीं, जोश वालों का दौर है,
यहाँ सब सोने वालों का दौर,
जागने वाला बेचारा सब को ले जाता है,
फिर भी उसकी फटी हालत पर तरस किसी को न आता है,
एक वही तो है जो जागा हुआ है,
पसीने से तरबतर अपना काम कर रहा है,
पेट भर फिर भी न उसको मिल रहा है,
जमाना अपना पेट मज़े से भर रहा है,
कितनों को उसने मंजिल पर है पहुँचाया,
अपना काम छोड़ दूसरों का काम करवाया,
आज उसकी ही हालत बुरी है,
ये दुनिया ऐसी ही धुरी है,
इसलिए तो भगवान् भी छुप गया है,
यह इंसान उसे भी नहीं छोड़ता है,
सवार होकर भगवान् पर अपनी बात मनवाना चाहता है,
भगवान् को फिर बुरा-भला भी कहना चाहता है,
------- बेतखल्लुस
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