राख में दबे शोलों को जरा गौर से उठाना,
हाथ जल सकता है,
बाबा लोगों का भस्म से लिपटा रहना,
अच्छा लगता है,
इस शोलों से आग अपनी जला लो,
न बुझाओ इन्हें, इनसे ताप ले लो,
गर हवा थोड़ी भी लगी शोलों को,
तो भड़क उठेंगे, रोशन जहाँ करेंगे,
रूह की गर्मी से,
गर्म उनकी देह,
हो रखी है,
तुम न जल जाओ,
तभी तो भस्म,
लपेट रखी है,
याद करो बिजली के,
नन्गे तारों को,
छूते नहीं,
उन पर भी,
परत होती है,
------- बेतखल्लुस
.
हाथ जल सकता है,
बाबा लोगों का भस्म से लिपटा रहना,
अच्छा लगता है,
इस शोलों से आग अपनी जला लो,
न बुझाओ इन्हें, इनसे ताप ले लो,
गर हवा थोड़ी भी लगी शोलों को,
तो भड़क उठेंगे, रोशन जहाँ करेंगे,
रूह की गर्मी से,
गर्म उनकी देह,
हो रखी है,
तुम न जल जाओ,
तभी तो भस्म,
लपेट रखी है,
याद करो बिजली के,
नन्गे तारों को,
छूते नहीं,
उन पर भी,
परत होती है,
------- बेतखल्लुस
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1 टिप्पणियाँ:
बहुत खूब ............धन्यवाद
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Thanks for your valuable comment.