एक शायर असद रज़ा के शब्दों में
सहयूनी तशददुद ओ मज़ालिम की वजह से
हालात अगरचे हैं वहां पर बड़े संगीन
ये अज्म से 'अब्बास' के होने लगा है ज़ाहिर
अब जल्द ही हो जाएगा आज़ाद फिलिस्तीन
सहयूनी तशददुद - यहूदियों की हिंसा , मज़ालिम - जुल्म का बहुवचन,
आज सोमवार है और यह दिन हिंदी ब्लॉग जगत में 'ब्लॉगर्स मीट वीकली' के लिए जाना जाता है। जो लोग नए नए ब्लॉगर बने हैं वे इस मीट के जरिये पुराने और अनुभवी ब्लॉगर्स के संपर्क में आते हैं और उनकी पोस्ट्स को देखकर बहुत कुछ सीखते हैं। सीखने वाली बातों में सबसे बड़ी बात सभ्यता और शालीनता है। ब्लॉगर होने का मतलब यह तो नहीं है कि बदतमीज़ी की जाए या जो चाहो वह कह दो, जिसे चाहो उसे कह दो।
आलोचना का तरीक़ा भी सभ्य होना चाहिए और यह भी देख लेना चाहिए कि शब्द भी सभ्य हों।
साथ रहना है तो सम्मान देना ही पड़ेगा ।
अभद्र लोग खुद रिश्तों को तोड़ते चले जाते हैं।
ब्लॉगिंग का इस्तेमाल जुड़ने के लिए होना चाहिए।
इन पंक्तियों पर हम सब को गौर करना चाहिए।
आलोचना का तरीक़ा भी सभ्य होना चाहिए और यह भी देख लेना चाहिए कि शब्द भी सभ्य हों।
साथ रहना है तो सम्मान देना ही पड़ेगा ।
अभद्र लोग खुद रिश्तों को तोड़ते चले जाते हैं।
ब्लॉगिंग का इस्तेमाल जुड़ने के लिए होना चाहिए।
इन पंक्तियों पर हम सब को गौर करना चाहिए।
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