एक खबर जो कुछ अखबारों में पढ़ने को मिली, उसके अनुसार सुप्रसिद्ध और शत-प्रतिशत असली गांधीवादी समाज-सेवी अन्ना हजारे की सुरक्षा को जन-लोकपाल मुद्दे पर उनके विशाल जन-आंदोलन के कारण खतरा उत्पन्न हो गया है,.इस वजह से महाराष्ट्र सरकार के निर्देश पर अहमदनगर पुलिस के जवान उन्हें जेड श्रेणी के सुरक्षा घेरे में ले चुके हैं . इधर अन्ना हैं कि मान ही नही रहे हैं. वह ऐसी कोई सुरक्षा नहीं चाहते ,जिससे आम जनता को तकलीफ झेलनी पड़े .
यही वज़ह है कि उन्होंने सुरक्षा घेरा लेने से इंकार कर दिया है और कहा है कि वह इस बारे में महाराष्ट्र के गृह मंत्री को चिट्ठी लिखेंगे . उन्होंने अपने गृह ग्राम रालेगन सिद्धि में पद्मा देवी मंदिर में पूजा करने के बाद कहा कि उन्हें सुरक्षा घेरा नहीं चाहिए .वह जनता के बीच रह कर काम करते रहेंगे . अन्ना ने यह भी कहा कि देश की आज़ादी के लिए संघर्ष कर अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद भगत सिंह ,सुखदेव और राजगुरु ने भी अपने किसे काम के लिए किसी तरह की सुरक्षा नहीं ली थी . हिम्मत और हौसले के साथ अन्ना जी ने जिस साफगोई से यह बात कही है, क्या वह आज के उन एक से बढकर एक तथा कथित जन-सेवकों के लिए एक सबक नहीं है, जो हमेशा किसी न किसी सुरक्षा घेरे में रहना अपनी शान समझते हैं ? हमारे यहाँ तो कहावत भी है - 'सांच को आंच नहीं ' , फिर किस बात का और कैसा डर ?
अगर आप और हम किसी जन-सेवा की राह पर निकले हैं , तो किसी बनावटी और दिखावटी सुरक्षा की ज़रूरत ही क्या है ? अगर हमारी सेवा भावना में सच्चाई है, तो जिस जनता-जनार्दन की हम सेवा करने का दावा करते हैं , वही जनता हमें सुरक्षा देगी . यह बात क्या जन-सेवकों को समझ में नहीं आती. आखिर उन्हें इतना डरने की क्या ज़रूरत है कि सुरक्षा घेरा ही उनके लिए सबसे बड़ी ज़रूरत बन जाए ?अन्ना जी सच्चाई की राह पर चल रहे हैं .उन्हें मालूम है कि खतरा चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो, सच्चाई को किसी भौतिक सुरक्षा घेरे की ज़रूरत नहीं होती. सच्चाई अगर सुरक्षा घेरे में रहेगी , तो सत्य और अहिंसा का दम घुट जाएगा . वास्तव में उनके जैसे समाज-सेवक के लिए जनता का प्यार और दुलार ही असली सुरक्षा घेरा है , जिसका कोई अभाव अन्नाजी को नहीं है . हमारी भारतीय संस्कृति में भगवान गौतम बुद्ध ,महावीर स्वामी , संत कबीर, गुरुनानक , स्वामी विवेकानंद जैसे कई मनीषी और समाज सुधारक हुए, जिन्हें कभी किसी बाहरी सुरक्षा घेरे की ज़रूरत नहीं पड़ी. सच्चाई और अच्छाई की मशाल लेकर वे हमेशा जनता के बीच काम करते रहे.
अन्ना जी गांधीवादी हैं.उन्हें यह भी मालूम है कि सत्य और अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी अपने निजी जीवन के लिए आजीवन कोई सुरक्षा नहीं ली ,भले ही उन्हें अपने सिद्धांतों के लिए अपना जीवन भी कुर्बान करना पड़ा , लेकिन वह देश और दुनिया को अहिंसा और सच्चाई का रास्ता बता गए . आज अन्ना हजारे भी हमें गांधी जी का बनाया यह मार्ग दिखा रहे हैं वह भारत के आकाश में भारतीयों के लिए नयी आशाओं का एक नया रोल-मॉडल बनकर नए सितारे की तरह अपनी चमक बिखेर रहे हैं. अन्नाजी का जीवन देश की १२१ करोड जनता के लिए एक अनमोल धरोहर बन गया है. हमारी यह धरोहर सुरक्षित रहे ,अन्नाजी का सार्वजनिक जीवन स्वस्थ ,सुदीर्घ और यशस्वी हो ,अन्याय और अत्याचार के खिलाफ वह देशवासियों को संगठित कर सबको सच्चाई का रास्ता दिखाते रहें , बस, यही कामना है.
- स्वराज्य करुण
(swaraj-karun.blogspot.com)
1 टिप्पणियाँ:
अच्छा किया अन्ना ने। सुरक्षा घेरा लेने से इंकार करके।
वैसे अन्ना को एक और अच्छा काम करना था, जब वो अनशन से उठे थे तब।
गुडगांव के सात सितारा सुविधा वाले अस्पताल के बजाय किसी सरकारी अस्पताल में इलाज कराते तो शायद उस सरकारी अस्पताल की व्यवस्था से दो चार हो पाते और हो सकता है उनके कारण कम से कम देश के एक सरकारी अस्पताल की व्यवस्था में कुछ सुधार तो हो जाता।
बहरहाल अच्छा कदम है यह। और अच्छा लेख।
आभार आपका।
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