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न यूँ इतिहास का हास करो

Written By Brahmachari Prahladanand on शुक्रवार, 9 सितंबर 2011 | 5:17 pm



न यूँ इतिहास का हास करो, न यूँ किसी का पर्दाफास करो,
इत के इह में ही तो आस है, तभी तो जिन्दगी खास है,

खास-ओ-खास जिन्दगी का, इतिहास लिखा जाता है,
आम-ओ-आम तो उसमें यूँ, जगह भी न बना पाता है,
उनकी खास जिन्दगी की, कुछ हमें भी आस होती है,
देखते सपने, कास ऐसी जिन्दगी हमारे पास होती है,

तभी तो इतिहास की कक्षा में, नींद है खास होती,
उनके जिन्दगी के सफ़र का सफरनामा है होती,
खोजो अपनी जिन्दगी में, क्या हमारा इतिहास होगा,
कोई हमारी जिन्दगी का पर्दाफास करनेवाला होगा,

जब हम खास होंगे, नज़र में सबके लिए आस होंगे,
कोई इतिहास लिखेगा, किसी के लिए बकवास होंगे,
कोई हमारे इतिहास पे हास करेगा, कई यूँ रोते होंगे,
कई हमसे प्रेरणा लेंगे, कई वक्त-वे-वक्त भूल गए होंगे,

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तारीखें बन गयी कुछ तारीखें, वक्त के बीतते-बीतते,
याद कोई जब इनको करेगा,वक्त के बीतते-बीतते,
सोचेगा, कौन थे वो, जो इस तरह जिए जिन्दगी को,
जिनकी तारीख सबक बन गई, सबकी जिन्दगी को,


                                                         ------- बेतखल्लुस


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