विचारक टाइप बातें
काम की बातेंमर्द भी औरतों के दुश्मन हैं । बाप अपने लड़के की शादी में ख़र्च भी करता है और अपना घर दुकान और खेत खलिहान भी उसी को देकर मरता है ।
भाइयों की शादी के बाद और माँ बाप की मौत के बाद बेटियाँ जब अपने जन्म स्थान पर आती हैं तो बस मेहमान की तरह और अपने पति के घर भी रहती हैं तो बस एक मेहमान की तरह ।
भारत के रिश्वतख़ोर अफ़सरों और भ्रष्ट नेताओं ने ज़रूर अपनी पत्नियों और लड़कियों को माल से लाद दिया है । भ्रष्टों ने वह कर डाला जो तथाकथित ईमानदारों ने न तो किया और न ही करने के लिए तैयार हैं ।
औरतों की कमियाँ अपनी जगह लेकिन अगर ससुर , पति और घर के दूसरे पुरूष सदस्य ध्यान दें और लापरवाही न बरतें तो किसी बहू का उत्पीड़न संभव ही नहीं है ।
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यह कमेँट आप देख सकते हैं भाई तारकेश्वर गिरी जी की पोस्ट पर
2 टिप्पणियाँ:
मैंने मन बनाया था कि आज कर्नल क़ज़्ज़ाफ़ी की बदबख़्तियों पर कुछ लिखूंगा लेकिन अपनी माँ को तो वह भी सम्मान देता है । जो आदमी अपनी माँ को घर से निकाल दे वह तो कर्नल से भी बड़ा बदबख़्त है और लोग हैं कि फिर भी उसे नेक समझते हैं तो हक़ीक़त में उन्हें नेकी और बदी की तमीज़ ही नहीं है ।
एक आमंत्रण सबके लिए
क्या आप हिंदी ब्लागर्स फोरम इंटरनेशनल के सदस्य बनना पसंद फ़रमाएंगे ?
अगर हॉ तो अपनी email ID भेज दीजिए ।
eshvani@gmail.com
धन्यवाद !
सही कहा ..तारकेश्वर गिरी ने...
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Thanks for your valuable comment.