(अस्तित्व) ग़र तकरार ही न हो , तो प्यार भी न हो , ग़र पतझड़ ही न हो , तो बह़ार भी न हो , इस दुनिया में , कुछ गद्दार हैं , तभी अस्तित्व में , कुछ वफादार हैं , बहुते बेईमान हैं , कुछ इमांदार हैं , ग़र दुनिया में बुरे न हो , तो कैसे कहें फलां अच्छा है , ग़र दुनिया में झूठ न हो , तो कैसे कहें बयाँ सच्चा है , कैसे बोलें किसी विपक्ष में , जब उसके पक्ष का पता न हो , कौन करे मुआफ किसी को , जब किसी से कोई खता न हो , वो क्या राह दिखाएगा "कायत", जिसे खुद का अता-पता न हो , |
अस्तित्व
Written By Bisari Raahein on शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011 | 6:00 pm
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4 टिप्पणियाँ:
सोलह आने सच बात कही है……………\सुन्दर अभिव्यक्ति।
bilkul sahi kaha hai aapne .badhai .
बात को प्यार से कहने का खुबसूरत अंदाज़ |
सही बात। बगैर धूप के छांव के सुकून का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
अच्छी रचना।
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