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ब्लॉग जगत के अनुभव --- दिलबाग विर्क

Written By दिलबागसिंह विर्क on रविवार, 27 फ़रवरी 2011 | 9:49 am

वर्तमान युग इंटरनेट का युग है . इंटरनेट पर हिंदी के ब्लॉग लेखक दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं . ब्लॉग लेखकों के बारे में लोगों की अलग-अलग राय है .कुछ इन्हें कुंठित मानसिकता का मानते हैं तो कुछ इन्हें लेखक मानने को ही तैयार नहीं . ब्लॉग लेखकों के खुद के नजरिए को देखें तो वो समाज में फैली बुराइयों , कुरीतियों को सुधारने में लगे हुए हैं . ब्लॉग लेखक क्या हैं , इनका स्थान क्या है , ये तो समय ही बताएगा .
ब्लॉग लेखन मेरी नजर में :----
      यहाँ तक मेरी निजी मान्यता है , हिंदी का ब्लॉग लेखन विकासशील अवस्था में है और इसमें पर्याप्त सुधार की आवश्यकता है . हाँ . अच्छे और सार्थक ब्लोग्स की कमी नहीं . एकल और सांझे ब्लॉग हैं , साहित्यिक और सामाजिक ब्लॉग हैं , विचार-विमर्श के ब्लॉग हैं .संक्षेप्त: प्रत्येक रंग है , लेकिन कमी है तो यही कि टांग खींच प्रतियोगिता इसमें भी है . असहमतियां हर जगह होती हैं . भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में असहमति की कद्र की जानी चाहिए , लेकिन जब असहमतियां विवाद का रूप धारण कर लें तब समझना चाहिए कि कुछ-न-कुछ गलत है . जब मुद्दों की बजाए निजी टीका-टिप्पणी होने लगे तब समझना चाहिए कि अभी सभ्य होना बाकि है , अभी शालीनता सीखना शेष है .
मेरा निजी अनुभव :---
         मैं अपनी बात करूं तो मुझे इस संसार में आए जुम्मा-जुम्मा चार दिन हुए हैं . इन दिनों में मुझे भरपूर सहयोग मिला है .उत्साहवर्धक टिप्पणियाँ मिल रही हैं , काबिल लोग अनुसरण कर रहे हैं , सुधार हेतु सुझाव मिल रहे हैं और चाहिए क्या ? इस जगत के कटु अनुभव मेरे निजी नहीं हैं , यही मेरा सौभाग्य है लेकिन जब समाज में कडवाहट व्याप्त हो तो डरना भी जरूरी है और सुधार के प्रयास करना भी क्योंकि आग कब घर तक आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता .
मैं और ब्लॉग :---
     जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि मैं थोड़े दिन पहले ही ब्लॉग जगत से जुड़ा हूँ . इंटरनेट संबंधी मेरा ज्ञान मामूली है . ब्लॉग बनाना इतेफाकन था , लेकिन एक के बाद एक चार एकल ब्लॉग बना डाले , दो सांझे ब्लॉग की सदस्यता ले ली . इसके पीछे कारण यही था कि मैं पंजाबी-हिंदी दोनों में लिखता हूँ  . पंजाबी के लिए sandli pairahn ( dilbag-virk.blogspot.com ) ब्लॉग बना लिया . हिंदी साहित्य में रूचि है . साहित्यकार तो खुद नहीं कहूँगा लेकिन साहित्य सृजन की कोशिश करता हूँ . दो पुस्तकें प्रकाशित हैं --
   1. चंद आंसू , चाँद अल्फाज़ ( अगज़ल संग्रह )
   2 . निर्णय के क्षण ( हरियाणा साहित्य अकादमी की अनुदान योजना के अंतर्गत चयनित कविता संग्रह )
अत: शुद्ध साहित्यिक ब्लॉग " साहित्य सुरभि "  (sahityasurbhi.blogspot.com ) बनाया . क्रिकेट लेख पत्र - पत्रिकाओं के लिए लिखता रहा हूँ अत: square cut ( dilbagvirk.blogspot.com ) ब्लॉग बनाया . अन्य विचारों को , चर्चाओं को शब्दों में ढालने के लिए virk's view ( dsvirk.blogspot.com ) ब्लॉग बनाया . अलग-अलग ब्लॉग बनाने के पीछे यह सोच भी रही कि सबकी पसंद अलग-अलग होती है , फिर क्यों सबको सब कुछ पढने के लिए विवश किया जाए . सांझे ब्लॉग में AIBA  और HBFI का सदस्य बनकर बेहद्द खुश हूँ क्योंकि इससे मैं खुद को ब्लॉग परिवार से जुड़ा महसूस करता हूँ .
मेरे लक्ष्य 
    हालाँकि कुछ विशेष लक्ष्य लेकर नहीं चला हूँ , फिर भी अच्छा लिखने , सद्भाव-स्नेह बढाने की आकांक्षा है . ख़ुशी फ़ैलाने में योगदान दे सकूं और जहाँ तक हो सके दूसरों के गम बाँट सकूं , ऐसी मन में धारणा है . इन लक्ष्यों को पाने में कितना सफल रहूँगा ये भविष्य के गर्भ में है . आखिर में बस इतना 
            अंजाम की बात खुदा जाने 
            कोशिश तो है  इंसां होने की .

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8 टिप्पणियाँ:

Atul Shrivastava ने कहा…

शुभकामनाएं आपको।

vandana gupta ने कहा…

बहुत बढिया लिखा है आपने ………अपने कर्म पथ पर चलते रहिये सफ़लता मिलती रहेगी।

Shalini kaushik ने कहा…

बहुत अच्छे विचार बहुत अच्छा प्रयास .अवश्य सफल होंगे.

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

@ दिलबाग विर्क जी ! आपको यहाँ देखकर और 'हिंदी ब्लागर्स फोरम इंटरनेशनल HBFI' में जोड़कर हमें शायद आपसे भी ज्यादा खुशी है । नए ब्लागर्स में आप सचमुच अच्छा लिखते हैं लेकिन जो लोग शिल्प और शैली आदि की नज़र से आप जितना अच्छा नहीं लिख पाते उनके लेखन को स्तरहीन केवल वे लोग कहते हैं जिन्हें वास्तव में ब्लागिंग की समझ ही नहीं होती ।
ब्लाग दरअस्ल डायरी है और डायरी को डायरी की विधा पर ही परखा जाना चाहिए। अगर ऐसा किया जाए तो फिर यह कहना संभव न रहेगा कि अधिकतर ब्लागर्स कूड़ा करकट लिखते हैं । ऐसा कहना ज़्यादातर ब्लागर्स का अपमान तो बाद में है पहले खुद अपनी समझदानी का अपमान करना है जो कि आए दिन प्रबुद्ध कहलाने वाले ब्लागर्स करते रहते हैं।
आप मेरे इस कमेंट को
commentsgarden.blogspot.com
पर भी देख सकते हैं और हमारी वाणी पर भी ।

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

atul ji , vandna ji , shalini ji , anvar ji
aapka sbka bhut-bhut dhnyvad .

anvr ji main aapki is baat se sahmat hoon ki blog dayri lekhn hai ya yoon kahoon ki blog main bhi kai vidhae hain . samanty daairy lekhn jyada hai . sahitiyk vidhaen bhi hain.
kul milakr vichar abhivykti ka yah sunder sadhan hai .
aalochna krne valon ko lekhon ko htotsahit nhin krna chaahie , haan sudhar hetu sujhav die ja sakte hai ,lekin kuchh log ese bhi hote hain jo sirf aalochna ke lie hi aalochna karte hai .
main to blog lekhkon se itna hi kahoonga ki ve niranter apne path par badhte rhen.

Asha Lata Saxena ने कहा…

आपने बहुत सही लिखा है |
अच्छी पोस्ट के लिए बधाई |
आशा

Kailash Sharma ने कहा…

हार्दिक शुभकामनाएं!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

ढेरो शुभकामनयें..... सतत लेखन की....

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