SHARAFAT
{ शराफ़त }
शराफ़त का जमाना नहीं,
हकीकत है ये कोई अफसाना नहीं ,
मेरे गमों का इलाज ,
कोई मयखाना नहीं ,
किसी को अपना दर्द ,
मैं चाहता बताना नहीं ,
दुसरो पे हँसना जानते हैं सब ,
जानता कोई हँसाना नहीं ,
दिल में 'कायत ' कांटे चुभे हैं ,
पर हाथों में है फूल ,
सिल रख अपने ग़मों पे ,
हम जहां को खुश करने में हैं मशगूल,
हमें कोई दुःख-दर्द नहीं ,
ये समझना आपका भारी है भूल ,
देख लिया पहचान लिया ,
अब दुनिया से अनजाना नहीं ,
शराफ़त का जमाना नहीं ,
हकीकत है ये कोई अफसाना नहीं !
शराफ़त का जमाना नहीं,
हकीकत है ये कोई अफसाना नहीं ,
मेरे गमों का इलाज ,
कोई मयखाना नहीं ,
किसी को अपना दर्द ,
मैं चाहता बताना नहीं ,
दुसरो पे हँसना जानते हैं सब ,
जानता कोई हँसाना नहीं ,
दिल में 'कायत ' कांटे चुभे हैं ,
पर हाथों में है फूल ,
सिल रख अपने ग़मों पे ,
हम जहां को खुश करने में हैं मशगूल,
हमें कोई दुःख-दर्द नहीं ,
ये समझना आपका भारी है भूल ,
देख लिया पहचान लिया ,
अब दुनिया से अनजाना नहीं ,
शराफ़त का जमाना नहीं ,
हकीकत है ये कोई अफसाना नहीं !
2 टिप्पणियाँ:
चोट पर चोट दिल पे है खाए हुए |
होंठ फिर भी है मुस्कुराए हुए |
म़ोत की वादियों मै बैठा हूँ |
जिंदगी की शमा जलाये हुए |
दर्द को बयान करने का खुसुरत अंदाज़ |
दर्द को बयान करने का खुबसूरत अंदाज़ |
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