"वीरानगी" इस वीरानी दुनिया में, कुछ खवाब हसीं संजोना चाहता हूँ मैं , सुख न दे सकूँगा तो क्या, दुःख तो बाँट लूँगा मैं , जीवन - पथ में कांटे बिछे हैं, फूल न बिछा सका तो क्या, कांटे तो छांट लूँगा मैं , महक उठे आलम, जिनकी खुशबु से , ऐसे फूल बोना चाहता हूँ मैं, इस वीरानी ------------------------------------- समुन्द्र में रहकर भी , प्यासा है कोई , महफ़िलों में तन्हाई का, बना तमाशा है कोई , दुःख भंवर से निकाल जहां को , प्रेम सागर में डुबोना चाहता हूँ मैं , इस वीरानी दुनिया में , कुछ खवाब हसीं ,संजोना चाहता हूँ मैं, इस वीरानी ------------------------------- |
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वीरानगी
Written By Bisari Raahein on रविवार, 20 फ़रवरी 2011 | 2:03 pm
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1 टिप्पणियाँ:
अच्छे हसीं ख्बाव हैं,,,बधाई
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