अभी अभी ब्लोग्स पर मैं एक लेख पढ़ कर आ रही हूँ कि "एल.बी.ए.ब्लोगर का सबसे बड़ा संगठन"और यह लेख मिथलेश जी ने लिखा है.इसमें कोई शक नहीं की एल.बी.ए.बड़ा संगठन है किन्तु इस तरह की बातें ब्लॉग जगत में अलगाव पैदा करने की कोशिश करती हैं.आज ब्लॉग जगत में बहुत सारे सामूहिक ब्लॉग हैं और सब पर लगभग सभी ब्लोगर जुड़ रहे हैं.कारण साफ है सभी देश के विभिन्न विवादस्पद मुद्दों पर अपनी राय दे रहे हैं और चाह रहे हैं कि हम किसी तरह इन स्थितियों में सुधार की सम्भावना पैदा कर दें .ऐसे में ऐसे लेख न ही आये तो शायद हम जैसे नवीन चिट्ठाकारों के प्रयासों को एक स्वच्छ दिशा मिल सकती है.हम सभी का मिल जुल कर यही प्रयास होना चाहिए कि हम एक जुट होकर देश की समस्याओं से लड़ें .हम सभी का कर्त्तव्य बनता है कि हम एक ऐसे मंच का संयोंजन करें जो सबको मिलजुल कर आगे बढ़ाये न कि आपस में दरारे पैदा करने की बातें करें.आज ब्लॉग जगत में भड़ास,हिंदुस्तान का दर्द,जौनपुर ब्लोगर एसोसिएशिअन ,आदि बहुत से सामूहिक ब्लॉग हैं और लगभग सभी ब्लोगर इनसे जुड़कर पाने विचारों से ब्लॉग जगत को लाभान्वित कर रहे हैं और सत्ता की शीशे की दीवारों पर प्रहार कर रहे हैं.आज देश में बहुत सी समस्याएँ हैं और हम "वसुधेव कुटुम्बकम "की धारणा को यहाँ बलवती कर सकते हैं .मिलजुल कर देश विरोधी ताकतों,bhrashtachariyon , बेटी -बहु के हत्यारों आदि के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं अत ऐसे में मेरा आग्रह है यदि आप माने तो कि इन तुच्छ बातों की और ध्यान न देकर बड़ी-बड़ी समस्याओं की और ध्यान दें और देश के नव निर्माण में भागीदार बनें.बड़े बने मगर विचारों में -
"बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर,
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर."
शालिनी kaushik
5 टिप्पणियाँ:
शालिनी जी ! मिथिलेश जी और हरीश जी खुद भी एक साझा ब्लाग के जरिए हिंदी और देश की सेवा कर रहे हैं । उनकी इस पोस्ट का मकसद उन लोगों की ग़लत आशाओं पर ओले बरसाना है जो LBA को टूटकर बिखरते हुए देखने के चक्कर में दिन रात घुल रहे हैं और अफवाहें फैला रहे हैं।
bahut sahi kaha aapne ''aur bhi gam hai jamane blogging me jhagadne ke siwa '
शालिनी जी, कौन बड़ा है कौन छोटा यह कहने वाले न हम है और न ही मिथिलेश जी, हम लोग काफी दिनों से LBA से जुड़े है. जब UBA की नीव रखी गयी तो हमारा मकसद किसी को धोखा देना या छल कपट जैसी कोई भावना नहीं थी. हमें यह एहसास नहीं था की ऐसा विवाद भी हो सकता है. किन्तु कुछ लोंगो को गलत फहमी हुई और हमें बुरा भला कहा, पर हमने बुरा नहीं माना.. फिर हमने सोचा की जो बाते परिवार में विवाद पैदा करें. उसे ख़त्म कर देना ही श्रेयस्कर है....... हमने अपने सामुदायिक ब्लाग UBA पर लिखा था की यह " ब्लागरों का सबसे बड़ा संगठन है" जो वास्तव में अहंकार दर्शाता था. लिहाजा हमने उसका पूरा स्वरूप ही बदल दिया.... हम सभी ब्लागर भाइयों का ह्रदय से सम्मान करते है. और चाहते है की सब लोग मिलजुल कर हिंदी लेखन को नई दिशा दे. हम आप सभी से अनुरोध करता है की किसी विवाद या मनमुटाव में न पड़कर यूपीखबर को एक प्यारा परिवार बनाने में योगदान करें.
हरीश सिंह
www.upkhabar.in
ham hamesha kahenge LBA ek bada aur majboot sangthan hai.
yeh mhanata he aapki or vinmrtaa fldar pedh ki trh jhuknaa hi sikhaati he is mhaanta ko slaam. akhtar khan akela kota rajsthan
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for your valuable comment.