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प्रीत की लहरों पर हम चढ़ना उतरना सीख लें, ओर अगर अच्छा लगे तो प्यार करना सीख लें

Written By Shalini kaushik on रविवार, 13 फ़रवरी 2011 | 2:35 pm

वेलेंटाइन डे प्यार का दिन,एक ऐसा दिन जब जिधर देखो प्यार की खुशबू फ़ैल जाती है .दुकानों पर कहीं चोकलेट्स कार्ड्स,कई परफ्यूम ,टेडी बियर सज रहे हैं तो सड़कों पर युवाओं की कतारों की कतारें हैं.लगभग सभी जान चुके हैं कि १४ फरवरी का दिन वेलेंटाइन डे है लेकिन यह क्यों मनाया जाता है इससे शायद कुछ ही लोगों का वास्ता पड़ा होगा किन्तु मैं सबसे पहले इन संत वेलेंटाइन के देश का जिक्र करूंगी और वह भी यूं कि ये रोम के पास एक शहर के थे ,वही रोम जो इटली की राजधानी है और उस देश के इस दिवस को यहाँ के उसी युवा वर्ग ने कितनी खुली मानसिकता से अपना लिया जबकि उसी देश की सोनिया गाँधी को यहाँ अब तक भी विदेशी कहा जाता है जबकि उनका भी तो राजीव गाँधी से प्रेम ही था जिस कारण उन्होंने भारत को और भारत की संस्कृति को अपनाया तो उन्हें स्वीकारने में यहाँ संकीर्ण मानसिकता क्यों अपनाई जाती है?
        खैर यहाँ बात हो रही है सेंत वेलेंटाइन की तो जहाँ तक मुझे जानकारी है उन्होंने रोमन शासक क्लाडियस के सैनिकों पर महिलाओं के साथ प्यार जताने और विवाह करने पर प्रतिबन्ध को चुनौती दी थी और "पूरे रोम में घूमकर प्रेम के सूत्र को लोगो को समझाना शुरू किया था और इसकी जानकारी मिलने पर  क्लाडियस ने सेंत वेलेंटाइन को जेल में डलवा दिया था.और उन्हें फांसी की सजा सुनायी थी .सेंत वेलेंटाइन ने अपनी फांसी के लिए १४ फरवरी का दिन तय किया.उन्होंने अपनी फांसी के दिन ही जेलर की बेटी को सन्देश लिखा और उसे फ़ैलाने को भी.सन्देश के नीचे लिखा "तुम्हारा वेलेंटाइन"बस इसी दिन से प्यार जताने का यह तरीका अमर हो गया."[साभार-मनविंदर भिभर रिपोर्ट ,हिंदुस्तान ,शनिवार -१२ फर.२०११ मेरठ]
     एक और प्यार की खुशबू से वातावरण महक रहा है तो दूसरी ओर प्यार में दहशत के रंग दिखाई दे रहे हैं.अमर उजाला में शनिवार को प्रकाशित एक समाचार "लखनऊ में छात्रा को स्कूल के पास गोली मारी ".कुछ ऐसे ही हालत बयां कर रहा है जो  "प्यार"शब्द  के हमारी युवा पीढ़ी में गलत सन्देश की बात कह रहे हैं.क्या आप इसे प्यार कहेंगे जिसके वशीभूत हो आशीष वर्मा ने साक्षी की गोली मार कर हत्या कर दी .मुजफ्फरनगर में भी एस.डी. डिग्री कॉलिज  में एक युवक ने छात्रा की गोली मरकर हत्या कर डी थी.मैं ही क्या सभी प्यार को त्याग का ही रूप कहते हैं .जिसे प्यार करते हो उसकी ख़ुशी की खातिर खुद लुट जाने की बात की जाती है न कि उसे लूट लेने की.प्यार बलिदान देता है मांगता नहीं .आज वेलेंटाइन का सन्देश युवा पीढ़ी भुना रही है किन्तु अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने में .प्यार के गलत अर्थ लगाये जा रहे हैं ओर सेंत वेलेंटाइन का सन्देश अंधेरों में धकेला जा रहा है.प्यार कहता है कि यदि आप किसी से प्यार करते हो तो उसकी खातिर बिन मोल बिक जाओ ओर उसकी इच्छा के अनुसार चलो न कि उसे अपनी इच्छा अनुसार चलने को विवश करो.ये अपनी इच्छा लड़ने का ही नतीजा है कि ऐसे दिवस पर चप्पलें,गोलियां चलती है और प्यार की खुशबू की जगह खून की नदियाँ बहाई जाती हैं.मैं इस दिवस पर कवि संजय जैन के शब्दों में यही कहूँगी-
"प्रीत की लहरों पर हम चढ़ना उतरना सीख लें,
ओर अगर अच्छा लगे तो प्यार करना सीख लें." 
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3 टिप्पणियाँ:

Shikha Kaushik ने कहा…

आपकी प्रस्तुति प्रशंसनीय है .हमें हर मुद्दे के दोनों पहलुओं को विस्तार से जानना चाहिए .बधाई .

shyam gupta ने कहा…

आपकी बात सही है---तभी तो --हम क्यों विदेशी वस्तु के पीछे चलें जिसे हम समझ/मान भी नहीं सकते--वेलेन्टाइन का मकसद राजनैतिक था--वह भी विदेशी---उसका प्यार से क्या लेना-देना---हम से क्या लेना-देना...हम व्यर्थ में ही नकल में घुसे जारहे हैं और बढे खुश हो रहे हैं...

Saleem Khan ने कहा…

हमें हर मुद्दे के दोनों पहलुओं को विस्तार से जानना चाहिए .बधाई

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