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मेरी इच्छा के बन दीप.........(सत्यम शिवम)

Written By Er. सत्यम शिवम on शनिवार, 5 फ़रवरी 2011 | 2:12 pm

मेरी इच्छा के बन दीप,
हर पल,हर क्षण तुम जलते रहो,
निशदिन प्रगति के पथ पर,
अनवरत तुम चलते रहो।
इतनी शक्ति दे ईश्वर,
एक दिन जाओ दुनिया को जीत।
मेरी इच्छा के बन दीप।

सारी खुशीयाँ कदमों को चूमे,
जीवन में हर पल आनंद झूमे।

कभी भी ना तुम रहो उदास,
ईश्वर में रखो सदा विश्वास।

बुरे दिनों में तुम्हे राह दिखाए,
मेरी मुस्कुराहटों का हर गीत।
मेरी इच्छा के बन दीप।

आकांक्षाओं को मेरे दो नया स्वरुप,
आती जाती रहती है,
जीवन में छावँ धूप।

इक नया आसमां बनाओ,
इक नई धरती का ख्वाब सजाओ।

सूरज सा दमको क्षीतिज पर हर दिन,
बनो दुखियारों के तुम मीत।
मेरी इच्छा के बन दीप।

शाश्वत सत्य ज्ञान को सीखो,
विकास के इतिहास को लिखो,
महापुरुष सी छवि हो तुममे,
हो तेज,सत्य,बल और विज्ञान।

स्वर्णाक्षरों में हो अंकित जो,
प्रेम सुधा से मोहित हर प्रीत।
मेरी इच्छा के बन दीप।

मेरा बचपन,मेरी जवानी,
तुममे देखु अपनी बीती कहानी,
हर ख्वाब जो था मेरे जीवन में अधूरा,
तुम कर दो सब को पूरा पूरा।

संवेदना और भावना के मोती,
चुन लो सागर से भावों का सीप।
मेरी इच्छा के बन दीप।

जब हो मेरे जीवन का अवसान,
साँस थमे और निकलने को हो प्राण,
मुझमे आत्म रुप दीप तु जल,
मन के तम को तु दूर कर।

प्रज्जवलित मुझमे तु चिर काल से,
चिर काल तक निभाना हर रीत।
मेरी इच्छा के बन दीप।
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3 टिप्पणियाँ:

Saleem Khan ने कहा…

gr8

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

Namaskar salim ji,aaj maine is naye blog sangathan ki charcha manch me v ki hai..aapka prayash sarahniy hai.

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

behtrin rchnaa ke liyen bdhayi. akhtar khan akela kota rajsthan

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