संवाद कर
असहमति पर
विवाद नहीं .
करते सभी
मर्म पर प्रहार
चूकें न कभी .
हारते सदा
ये बादल सूर्य से
जिद्द न छोड़ें .
जीओ तो ऐसे
न डरना किसी से
न ही डराना .
कितना थोथा
बादल का घमंड
हवा के आगे .
आओ बचाएं
रिश्तों में गर्माहट
प्यार दिलों का .
पिघलाएगी
रिश्तों पे जमी बर्फ
प्यार की आंच .
* * * * *
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4 टिप्पणियाँ:
आओ बचाएं
रिश्तों में गर्माहट
प्यार दिलों का .
पिघलाएगी
रिश्तों पे जमी बर्फ
प्यार की आंच
आओ बचाएं
रिश्तों में गर्माहट
प्यार दिलों का .
पिघलाएगी
रिश्तों पे जमी बर्फ
प्यार की आंच .
बहुत सुन्दर ख्याल्………काश ऐसा संभव हो सके।
bahut sateek haiku hain .badhai.
आपके भावों की खिलाफत नहीं है पर मेरा
विचार तो ये है ........
हवाएं लाख जोर लगाएँ,
चाहें आंधियाँ बन कर ,
पर घिर के आए जो बादल ,
वो छा ही जाता है ............
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Thanks for your valuable comment.