प्यार की इस हसीन वादियों मैं एक बार तुम आके तो देखो |
हो न जाये इससे महोब्बत जरा इसे आजमा के तो देखो |
वो घड़ी भी आज आ ही गई जिसका युवावर्ग को बेसब्री से इंतजार था | सच मैं ये प्यार भी बड़ी अजीब से चीज़ होती है | किसी को पागल , किसी को दीवाना और किसी को म़ोत भी दे देती है , लेकिन प्यार करने वालों का दीवानापन तो देखो इसके अंजाम को जानते हुए भी इसकी राह मै चलने से पीछे नहीं हटते | प्यार करने का अंदाज़ बदल लेते हैं पर प्यार की राह पर चलना कभी कम नहीं करते | वेसे प्यार शब्द तो इंसां की रूह मै हरदम समाये रहता है बस फर्क सिर्फ इतना है हर एक ने इसका अपना - अपना पैमाना बना कर रखा है और अपने - अपने हिसाब से इसको इस्तेमाल मै लाता है | अब अगर हम गोर से सोचे तो प्यार का इज़हार करने और उसके लिए हाँ कहने के लिए एक दिन का समय बहुत कम है क्युकी वो तो पल -पल के एहसास से ही जीवित रहती है फिर एक दिन मै ये केसे मुमकिन हो सकता है | प्यार तो एक बीज की तरह होता है जिसको बहुत प्यार से सहेज कर रखा जाता है और समय - समय पर उसे पानी दे कर पालना पड़ता है | प्यार के तो वेसे बहुत से क़िस्से और कहानियां हुई है जिसमे दुखद बहुत ज्यादा और सफल बहुत कम हुई हैं | वेसे प्यार का एहसास सच मैं बहुत सुखद होता है पर ये भी सच बात है की इसके मायने भी अलग - अलग हुआ करते हैं और प्यार मै इतनी ताकत है की सिर्फ उसके एहसास मै भी जिया जा सकता है | ये भी सच है की जिन्दगी का हर रिश्ता प्यार के बिना अधुरा है फिर वो प्यारा सा रिश्ता भाई - बहन का हो , माँ बाप का हो या फिर फिर प्रियतम का अपनी प्रेयसी के प्रति समर्पण का ही क्यु न हो | इसलिए हर रिश्ते को जिन्दा रखने के लिए एहसास का होना बहुत जरुरी है | जब तक इसे हम सींचते रहेंगे ये तब तक जीवित रहेगा और उसके सुखद एहसास को हम भोगते रहेंगे और जेसे ही हमने इससे मुहं फेरा इसका अंत निश्चित है | ये एक कडवा सत्य है जो हर प्यार करने वाले की जिंदगी के लिए जरुरी है | प्यार के इस मोसम मै ये एक प्यार करने वाले की प्यारी सी कहानी है ...
बिहार के गया जिले के सुदूर गाँव गालहोर मै 1934 मै जन्मे महादलित मुसहर जाति के एक अशिक्षित श्रम जीवी की ये कहानी है | जो प्यार के एहसास को बखूबी समझता था और उसी एहसास को पा कर उस दशरथ नाम के लड़के ने अपने प्यार को तकलीफ झेलते देख कर अपनी प्रेयसी के लिए पहाड़ को खोद कर रास्ता तक बना दिया | 1960 मै शुरू कर 1982 तक 22 साल की अपनी अथक मेहनत की बदोलत दशरथ ने सिर्फ हथोडी और छेनी की मदद से गह्लोर घाटी की पहाड़ी के एक छोर 360 फिट लम्बा , 25 फिट ऊँचा और 30 फिट चोडा रास्ता खोद डाला | इन सबका कारण सिर्फ इतना था की उसकी जीवन संगिनी फगुनी को पानी लेने जाने और छोटी - मोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए इतनी बड़ी पहाड़ी को लाँघ कर जाना पड़ता था और उसकी प्रेयसी इसमें अकसर जख्मी होकर लोटती थी | दशरथ इस दर्द को सह नहीं पाता था और वो उसके इस दर्द से तड़प जाता था | मोहब्बत का जन्म संवेदनाओं से ही होता है | उसके लिए प्रेम के जो मायने थे उसे पूरा करने के लिए उसने इतिहास के पन्नों पर मोहब्बत की किताब ही लिख दी | पटना से लगभग डेढ़ सो किलोमीटर दुरी पर बसे हुए गया जिले के अतरी ओर वजीरगंज ब्लोक के बीच की दुरी दशरथ के इस प्रेम के कारण 75 किलोमीटर से कम होकर सिर्फ 1 किलोमीटर ही रह गई तब दुनिया की निगाहें इस नायक पर पड़ी जिसके प्यार ने सिर्फ अपने प्यार की खतिर ही नहींबल्कि सारे गाँव वालो की जिन्दगीको ही खुशहाल कर दिया | असल मै मोहब्बत का उफान यही है और हकीक़त भी |
प्यार ...प्यार ...प्यार
इसका कोई निश्चित समय नहीं ,
यही वो नदी है जो निरंतर बहती रहती है |
हर वक़्त हमारे ही भीतर विद्यमान रहती है |
कभी वो बच्चे की तरह माँ से लिपटती है |
तो कभी भाई बनकर बहन की रक्षा करती है |
तो कभी प्रेयसी से मिलन को बेकरार रहती है |
चित्रकार के लिए चित्रकारी ही उसका प्यार है |
संगीतकार का तो गीत ही उसका यार है |
अरे लेखक की लेखनी अगर उसका संसार है |
देश भगत को तो सिर्फ देश से ही प्यार है |
तो प्यार पल भर को भी ठहर जाये ,
ये हमको गवारा नहीं है |
क्युकी प्यार ही तो सबकी जिंदगी का सहारा है |
हर एक के प्यार करने का अंदाज़ जुदा है |
पर हर एक ने इसे प्यार के ही नाम से पुकारा है |
इसका कोई निश्चित समय नहीं ,
यही वो नदी है जो निरंतर बहती रहती है |
हर वक़्त हमारे ही भीतर विद्यमान रहती है |
कभी वो बच्चे की तरह माँ से लिपटती है |
तो कभी भाई बनकर बहन की रक्षा करती है |
तो कभी प्रेयसी से मिलन को बेकरार रहती है |
चित्रकार के लिए चित्रकारी ही उसका प्यार है |
संगीतकार का तो गीत ही उसका यार है |
अरे लेखक की लेखनी अगर उसका संसार है |
देश भगत को तो सिर्फ देश से ही प्यार है |
तो प्यार पल भर को भी ठहर जाये ,
ये हमको गवारा नहीं है |
क्युकी प्यार ही तो सबकी जिंदगी का सहारा है |
हर एक के प्यार करने का अंदाज़ जुदा है |
पर हर एक ने इसे प्यार के ही नाम से पुकारा है |
4 टिप्पणियाँ:
bahut kathin hai dagar panghat ki
ab kya bhar laun main jamuna se matki
प्यार ...प्यार ...प्यार
इसका कोई निश्चित समय नहीं ,
यही वो नदी है जो निरंतर बहती रहती है |
हर वक़्त हमारे ही भीतर विद्यमान रहती है |
कभी वो बच्चे की तरह माँ से लिपटती है |
तो कभी भाई बनकर बहन की रक्षा करती है |
तो कभी प्रेयसी से मिलन को बेकरार रहती है |
चित्रकार के लिए चित्रकारी ही उसका प्यार है |
संगीतकार का तो गीत ही उसका यार है |
अरे लेखक की लेखनी अगर उसका संसार है |
देश भगत को तो सिर्फ देश से ही प्यार है |
तो प्यार पल भर को भी ठहर जाये ,
ये हमको गवारा नहीं है |
ye hai pyaar ka satya
thanx both of u dost ji
हर एक के प्यार करने का अंदाज़ जुदा है |
पर हर एक ने इसे प्यार के ही नाम से पुकारा है |
---सुन्दर अति सुन्दर....
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