नियम व निति निर्देशिका::: AIBA के सदस्यगण से यह आशा की जाती है कि वह निम्नलिखित नियमों का अक्षरशः पालन करेंगे और यह अनुपालित न करने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से AIBA की सदस्यता से निलम्बित किया जा सकता है: *कोई भी सदस्य अपनी पोस्ट/लेख को केवल ड्राफ्ट में ही सेव करेगा/करेगी. *पोस्ट/लेख को किसी भी दशा में पब्लिश नहीं करेगा/करेगी. इन दो नियमों का पालन करना सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य है. द्वारा:- ADMIN, AIBA

Home » » नारी अस्तिव-- नारी तेरे बहुत कर्म हैं

नारी अस्तिव-- नारी तेरे बहुत कर्म हैं

Written By Surendra shukla" Bhramar"5 on शनिवार, 14 मई 2011 | 7:56 am



प्रिय वियोग में पागल मत बन नारी तेरे बहुत कर्म हैं

जग- जननी ,पालक तो तू ही -जल -फूल खिलाया तूने ही
बन सजनी, श्रष्टा  की तू ही -परिपूर्ण -पकाया तूने ही
बन काली -कलुषित तन जारे -पूजा का अधिकार भी पाया
मंथरा बनी -पूतना बनी -मन मारे -सावित्री सीता नाम लिखाया
पहचानो नारी -पहले खुद को -नारी तेरे कई रूप हैं ----
प्रिय वियोग में पागल मत बन नारी तेरे बहुत कर्म हैं


सुकुमार बनी क्यों -श्रम त्यागा -लक्ष्मण रेखा में रहना चाहा
घूंघट  आड़ खड़ी क्यों - वरमाला -निज वश सब- करना चाहा
संयत ,सुशील , धर धीर चली क्यों -अंकुश टूटा-उच्छृंखल- नर भागा
गंभीर -हीन मन- मार -चली क्यों -अंतर्धारा नर जान पाया
जब चुने रास्ते फूलों के ही -कंटक कीचड तो आयेंगे ही
पहचानो नारी पहले खुद को नारी तेरे कई रूप हैं ----
प्रिय वियोग में पागल मत बन नारी तेरे बहुत कर्म हैं


जननी,पत्नी, भगिनी, दुहिता, साथी नर माने तुमको ही
शक्ति , भक्ति , ख्याति, शुचिता -नारी- नर पाए तुझसे ही
अपमान जहाँ हो नारी का -सुर ना होंशिव भी शव बन जाता है
पाषाण ह्रदय हो वारि सा -स्पर्श जहाँ हो -पीड़ा भी सुख बन जाता है
जन मानस जब अभिवादन करता नारी -पाले- जा निज-गुण को ..
पहचानो नारी पहले खुद को नारी तेरे कई रूप हैं ----
प्रिय वियोग में पागल मत बन नारी तेरे बहुत कर्म हैं

नभ , तारे , सूरज ,चाँद व् धरती -प्रेरित करती सब पर बलिहारी
जग आये जीवन -ज्योति अपनी सब अभिनय के अधिकारी
अतिक्रमण करे क्यों अधिकार जताये-प्रिय पीछे मन प्राण गंवाये
प्राण टूटे क्यों -छूटा प्रिय जाये  -मुस्कान लाज ममता जल जाये
विपरीत चले क्यों धारा के तू-भय है अस्तित्व नहीं मिट जाये...
पहचानो नारी पहले खुद को नारी तेरे कई रूप हैं ----
प्रिय वियोग में पागल मत बन नारी तेरे बहुत कर्म हैं

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 
 १३..2011
http://surendrashuklabhramar.blogspot.com
Share this article :

8 टिप्पणियाँ:

मीनाक्षी ने कहा…

पहचानो नारी पहले खुद को नारी तेरे कई रूप हैं ---चिंतन करने पर बाध्य करती रचना..

भारतीय हिन्दी साहित्य मंच ने कहा…

बेहद उम्दा रचना

shyam gupta ने कहा…

कई रूप तो ठीक है....पर कई कर्म का क्या अर्थ है भैया जी....
---कुछ अटपटी सी रचना है...

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

डॉ श्याम जी जिस तरह से आप के हमारे किसी हीरो के नायक अधिनायक के कई रूप होते हैं उसी तरह से उसे उसके अनुरूप कई कर्म करने होते हैं
यहाँ भी जब नारी एक प्रेमिका की भूमिका में प्यार करना प्रियतम को अपने पल्लू से बांधे रखना -विरह में केवल पागल न बने रहना को बताया गया है ताकि वह अपने अन्य रूप भगिनी दुहिता माता के साथ भी उचित कर्म करे अपने बिभिन्न कर्मों को न भूले
आप ने देखा होगा एक बहुरुपिया जब रूप धारण करता है कोई जैसे हनुमान बना तो बन्दर जैसे कर्म उछालना कूदना फल खाना .....
गाने में या बोल में अटपटा ही केवल न देखें उससे जो आह्वान है उसके जो अन्य कर्म करने को कहे गए हैं उसे भी देखें
आभारी हूँ आप की समीक्षा के लिए अन्य लोग भी इस तरह का भ्रम न पालें

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

आदरणीया मीनाक्षी जी
प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद
हां सच कहा आप ने नारी को अपने बिभिन्न रूपों की याद रख अनेक कर्म भी करना है

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

भारतीय हिंदी साहित्य मंच
आप के द्वारा प्रतिक्रिया और प्रोत्साहन पा हर्ष हुआ
आइये हम अपने बिभिन्न मंच पर नारियों को उनका सम्मान दिलाएं और उनसे अपेक्षित गुण धारण करने को कहें उनके बिभिन्न कर्मों की याद दिलाते रहें -
शुक्ल भ्रमर ५

shyam gupta ने कहा…

हां सही है...पर कई रूप कहने से ही अभिप्राय: पूरा होजाता है...रूप का अर्थ ही भाव, गुण ,कर्म होता है.... इससे रचना में सक्षिप्तता, सटीकता की काव्य-सुन्दरता आजाती है...

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

डॉ श्याम जी -धन्यवाद आप ने माना अच्छा लगा हम रूप और कर्म की बात जब करते हैं तो गूढ़ भाषा और विद्वान् की समझने की भाषा में कुछ हद तक ठीक है पर जन साधारण के लिए रूप और कर्म एक नहीं है -कृपया ध्यान दीजियेगा -और बार बार ऊपर और नीचे की पंक्ति में रूप -रूप दोह्न्राने से उचित भी नहीं है
शुक्ल भ्रमर ५

एक टिप्पणी भेजें

Thanks for your valuable comment.