दिनांक 7 मई 2011 को डा. असलम क़ासमी की किताब ‘उर्दू तन्क़ीद और उसका पस मंज़र‘ का विमोचन सहकारिता भवन, लखनऊ में हुआ। इसी मौज़ू पर डा. असलम क़ासमी साहब को डॉक्ट्रेट की डिग्री मिली है। इसी मौज़ू पर डा. असलम क़ासमी साहब को डॉक्ट्रेट की डिग्री मिली है। प्रोफ़ेसर डा. असलम जमशैदपुरी साहब की निगरानी में उन्होंने अपनी रिसर्च मुकम्मल की। यह किताब अपने अंदर निहायत क़ीमती मालूमात समोये हुए है। ‘ऑल इंडिया उर्दू तालीम घर, लखनऊ‘ के बैनर तले हुए इस कार्यक्रम में शामिल सभी ख़ास मेहमानों को यह किताब लेखक की तरफ़ से भेंट की गई।
‘सहकारिता भवन‘, यह नाम देखकर मुझे लगा कि शायद यह सभागार सामाजिक गतिविधियों के लिए मुफ़्त में मिल जाता होगा लेकिन प्रोग्राम के आयोजक ने पूछने पर बताया कि इस ऑडिटोरियम को लेने के लिए 40,000 रूपये देने पड़ते हैं लेकिन हमें मात्र 25,000 रूपये ही देने पड़े और 1,800 रूपये सिक्योरिटी के तौर भी जमा कराने पड़े जो कि प्रोग्राम के बाद वापस मिल जाएंगे। दिल्ली और हैदराबाद के कुछ मेहमानों के लिए आने-जाने की व्यवस्था बज़रिया हवाई भी की गई थी। मुझ समेत हरेक मेहमान को आयोजक की ओर से भेंटस्वरूप कुछ न कुछ दिया गया। इस पूरे प्रोग्राम में आयोजक का ख़र्च लगभग ढाई लाख से तीन लाख के बीच आया है।
प्रोग्राम के ख़ुसूसी मेहमानों को होटल में ठहराया गया था जबकि हम अपने दोस्तों के साथ वहां ठहरे थे जहां कि इंटरनेट अवेलेबल था। उसी से हमने दो पोस्ट उसी दिन पेश की और हिंदी ब्लॉगर्स को नई उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी :
७ मई २०११ की सुबह लखनऊ स्टशन के बहार अनवर जमाल |
किताब की तस्वीर |
किताब का इजरा अर्थात विमोचन करते हुए खुसूसी मेहमान |
इस मौक़े पर कुछ चुनिंदा ब्लॉगर्स भी मौजूद थे. हिंदी ब्लॉगिंग की दुनिया से इस प्रोग्राम में हमारे अलावा सलीम ख़ान, अनवार अहमद साहब, डा. असलम क़ासमी, डा. अयाज़ अहमद, तारिक़ भाई, फ़िरोज़ अहमद, डा. डंडा लखनवी, डा. शाहिद हसनैन व अन्य शामिल थे। कुछ ब्लॉगर्स के अकाउंट्स फ़ेसबुक पर हैं। पूरे कार्यक्रम की कवरेज करने के लिए मीडिया भी मौजूद था और वीआईपी की सुरक्षा के लिए ख़ासी तादाद में सुरक्षाकर्मी भी मौजूद रहे।
प्रोग्राम की शुरुआत कुरआन शरीफ़ की तिलावत से हुई और ख़ात्मा दुआ पर हुआ .
सुरक्षा के लिए मौजूद पुलिसकर्मी |
वीआईपी मेहमानों की सुरक्षा के लिए मौजूद दरोगा |
हिन्दी ब्लॉगर्स की टीम प्रोग्राम के शुरू में |
सलीम ख़ान प्रोफ़ेसर असलम जमशैदपुरी साहब को फूल पेश करते हुए प्रोफ़ेसर साहब एक हिन्दी ब्लॉगर भी हैं. |
स्टेज पर मौजूद सम्मानित मेहमान |
मौलाना मुहम्मद फुरकान क़ासमी |
डा. डंडा लखनवी, सलीम खान, अनवर जमाल, डा. अयाज़,डा. सुरेश उजाला एडिटर, अनिल |
मंच का विहंगम दृश्य |
डा. असलम क़ासमी |
सलीम खान स्टेज पर |
डा. अनवर जमाल स्टेज पर |
डा. अनवर जमाल सभा को संबोधित करते हुए |
एक विहंगम दृश्य |
अनवर जमाल एक भावपूर्ण मुद्रा में |
मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली डा. अनवर जमाल को ईनाम से नवाज़ते हुए |
मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली सलीम खान को बेस्ट ब्लॉगर के ईनाम से नवाज़ते हुए डा. |
एक यादगार लम्हा सलीम खान के लिए
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डा. अयाज़ अहमद, डा. असलम कासमी और डा. अनवर जमाल |
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