सफ़र....
..
तुम जो भूलपाते ज़माने को अगर,
तो क्या ये प्यार , सच नहीं होता |
फिर तो क्या रंज था, जमाने में,
दर्दे -दिल, यूं बयाँ नहीं होता ||
अब न आती हैं बहारें,न खुशी,
बेकरारी में दिल नहीं होता |
तुम जो होते सफ़र में साथ मेरे,
दिल ये बेज़ार यूं नहीं होता ||
जी रहा हूँ यूं ही जीने के लिए,
इश्क हर बार तो नहीं होता |
तुम जो भूलजाते ज़माने की नज़र ,
तो क्या ये प्यार सच नहीं होता ||
तुम जो भूलपाते ज़माने को अगर,
तो क्या ये प्यार , सच नहीं होता |
फिर तो क्या रंज था, जमाने में,
दर्दे -दिल, यूं बयाँ नहीं होता ||
अब न आती हैं बहारें,न खुशी,
बेकरारी में दिल नहीं होता |
तुम जो होते सफ़र में साथ मेरे,
दिल ये बेज़ार यूं नहीं होता ||
जी रहा हूँ यूं ही जीने के लिए,
इश्क हर बार तो नहीं होता |
तुम जो भूलजाते ज़माने की नज़र ,
तो क्या ये प्यार सच नहीं होता ||
2 टिप्पणियाँ:
अब न आती हैं बहारें,न खुशी,
बेकरारी में दिल नहीं होता |
तुम जो होते सफ़र में साथ मेरे,
दिल ये बेज़ार यूं नहीं होता ||
bahut achchi gajal.bahut achche shabdon ka chyan.badhaai aapko.
धन्यवाद प्रेरणा जी...
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Thanks for your valuable comment.