फिर से चुनाव आएगा / फिर से वोट देने की मजबूरी, व्यथित हूँ क्या करू ? वोट न दूं तो ऐसा लगता हैं जैसे अपने अधिकार का प्रयोग नहीं किया और वोट दू तो ऐसा लगता हैं अपने अधिकार का उपयोग नहीं किया / प्रयोग और उपयोग, अजीब कशमकश हैं / वोट किसको दे , सारे दल फेल हो चुके हैं / भारत की जनता ने सबको मौका दिया लेकिन कोई भी जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा / आजादी के बाद से हम एक ही तरह की बुनियादी समस्याओ से निजात नहीं पा सके हैं / जस की तस कड़ी हैं बेरोजगारी और भुखमरी- गरीबी / गिने चुने लोग अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और कृषक मजदूर किसी तरह दो बेला चावल रोटी का जुगाड़ कर पाते हैं / रोटी कपडा और मकान सबसे बुनियादी जरुरत से भी भारत की अधिकतर जनता वंचित हैं / हमारे चुने ही जन प्रतिनिधि ही हम से विश्वासघात करते हैं , चुनाव के वक़्त भीख का कटोरा लिए घुमते हैं , दारु , नोटों की गड्डिया, टेलीविजन और मंगलसूत्र साडी बांटते हैं / साम दाम दंड भेद से हमसे हमारा वोट छिनते हैं और अगले पांच वर्ष तक देश का खजाना लूटते हैं / हमारे हक के साथ अन्याय करते हैं और जनता को गुलाम समझते हैं / व्यवस्था में परिवर्तन चाहिए , हमे स्वराज चाहिए /
व्यवस्था में परिवर्तन चाहिए , हमे स्वराज चाहिए /
Written By Rajesh Sharma on सोमवार, 16 मई 2011 | 9:08 am
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3 टिप्पणियाँ:
तभी तो इस देश की जनता के पास सुनहरा मौका है ,,4 जून को दिल्ली के रामलीला मैदान में चलकर व्येव्स्था परिवर्तन करने व करवाने का ...ओर और एक सन्यासी का साथ देने का ...तो आओ इस अवसर न जाने दें ओर ..सभी सच्चे लोगो का साथ दें |
bilkul yatharth per likha hua lekh.desh ki janataa ki vote denaa bhi majboori ho gai hai.per vote kisko de sabhi aek se hain koi bhi jeete desh ki janataa ko to ronaa hi hai bhalaai to bas netaon ki ho rahi hai tabhaai saare desh ki ho rahi hai.badhaai aapko aek achche lekh ke liye.
जानदार और शानदार है। प्रस्तुति हेतु आभार।
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